महज 21 दिनों के भीतर ही पंजाब सरकार ने अपने ही उस फैसले से यू टर्न ले लिया जिसके तहत सूबे की सभी पंचायतों को भंग करने का आदेश जारी किया गया था। पंजाब सरकार ने बृहस्पतिवार को पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट से कहा कि वह राज्य की सभी ग्राम पंचायतों को भंग करने वाला आदेश वापस लेने जा रही है।

पंजाब सरकार ने 10 अगस्त को जारी की थी पंचायतों को भंग करने वाली अधिसूचना

पंजाब के महाधिवक्ता (AG) विनोद घई ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि शंकर झा को बताया कि सूबे की सभी पंचायतों को भंग करने वाली अधिसूचना दो दिनों के भीतर वापस ले ली जाएगी। हाईकोर्ट सरकार की 10 अगस्त की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। ये रिट शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नेता गुरजीत सिंह तलवंडी ने दायर की थी। पंजाब सरकार ने अधिसूचना के जरिये सभी ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषदों को भंग कर दिया था। सरकारी आदेश के अनुसार पंचायत समितियों और जिला परिषदों के सदस्यों के लिए चुनाव 25 नवंबर तक और ग्राम पंचायत सदस्यों के लिए चुनाव 31 दिसंबर तक कराने की बात कही गई थी।

तलवंडी के अधिवक्ता बलतेज सिंह सिद्धू का कहना है कि महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट को सूचित किया कि राज्य सरकार ग्राम पंचायतों को भंग करने वाला आदेश वापस ले रही है। उनका कहना था कि तलवंडी की याचिका पर सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने ये बात चीफ जस्टिस से कही। उनका कहना था कि सरकार का फैसला बचकाना था। इसी वजह से वो इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट के पास अपील लेकर गए थे।

पंजाब में 13 हजार 241 ग्राम पंचायतें, 152 ब्लॉक समितियां और 22 जिला परिषद हैं। ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 10 जनवरी 2019 से शुरू हुआ था। लेकिन उन्हें कार्यकाल समाप्त होने से छह महीने पहले यानि 10 अगस्त को भंग कर दिया गया था। राज्य सरकार ने कहा था कि पंजाब पंचायती राज अधिनियम, 1994 के प्रावधान 209 के तहत पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव कराना उसका संवैधानिक कर्तव्य और अधिकार है। पंचायतों का कार्यकाल उस दिन से माना जाता है जिस दिन उनकी पहली बैठक हुई हो। पंजाब में 10 जनवरी को पंचायतों की पहली बैठक हुई थी।