सरकार ने आम मरीजों को महंगी दवाओं से राहत देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने अब कई जरूरी दवाओं के खुदरा मूल्य तय कर दिए हैं, जिससे मरीजों को अस्पताल और फार्मेसी में अनावश्यक खर्च से बचाव मिलेगा। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने इस दिशा में स्पष्ट आदेश जारी किया है कि सभी निर्माता और वितरक तय कीमतों की सूची सरकार, राज्य औषधि नियंत्रक और डीलरों को सौंपें।

इस सूची में कई अहम और महंगी दवाएं शामिल हैं। उदाहरण के लिए, ब्रॉड-स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक Meropenem & Sulbactam Injection (ज़ाइडस हेल्थकेयर) की कीमत अब प्रति वायल 1938.59 रुपये तय की गई है। वहीं अंग प्रत्यारोपण के बाद ऑर्गन रिजेक्शन रोकने के लिए इस्तेमाल होने वाली Mycophenolate Mofetil Tablets (इप्का लेबोरेट्रीज़) की कीमत 131.58 रुपये प्रति टैबलेट रखी गई है। इसी तरह, बैक्टीरियल इंफेक्शन में काम आने वाली Clarithromycin Extended-Release tablet (एबॉट हेल्थकेयर) की कीमत 71.71 रुपये प्रति टैबलेट तय की गई है।

दवा कंपनियां की बेलगाम मुनाफाखोरी का खामियाजा भुगतते हैं आम लोग, दबाव में मरीजों को महंगी दवाएं लिखते हैं डाक्टर

NPPA का कहना है कि यह कदम मरीजों के हित में है। अब सभी फार्मेसी और डीलरों को तय कीमतों की सूची और अनुपूरक सूची सार्वजनिक रूप से लगानी होगी। यह सूची साफ और आसानी से देखने वाली जगह पर होनी चाहिए, ताकि कोई भी मरीज या उपभोक्ता जांच सके कि दवाएं NPPA द्वारा तय कीमत पर ही बिक रही हैं या नहीं। ऑनलाइन या वर्चुअल फार्मेसियों पर भी यह आदेश लागू होगा।

दवा ही बढ़ाने लगी बीमारी, 55 दवाएं हुईं टेस्ट में फैल, Diabetes और BP के मरीज खा रहे हैं ये, कहीं आप भी तो नहीं?

विशेषज्ञों के अनुसार, इस पहल से मरीजों को महंगी दवाओं पर राहत मिलेगी और फार्मेसी पर अनुचित मुनाफाखोरी की संभावनाओं पर रोक लगेगी। मरीज अब दवाओं की कीमतों के संबंध में पारदर्शिता देख पाएंगे और उन्हें बार-बार अनावश्यक खर्च से बचाया जा सकेगा।

सरकार का यह कदम स्वास्थ्य प्रणाली में पारदर्शिता लाने और आम जनता की वित्तीय सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह लागू हो जाता है, तो मरीजों की जेब पर सीधे असर पड़ने वाली बड़ी राहत मिल सकती है।

एनपीपीए ने पिछली बैठक में डीपीसीओ, 2013 के तहत नई दवाओं की खुदरा कीमतें तय की थी। इसमें 38 दवाएं शामिल थी, जिन्हें राष्ट्रीय आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल मौजूदा दवाओं के संयोजन, खुराक या मात्रा बदलकर लॉन्च किया गया था। इस प्रक्रिया से नई दवाओं की कीमतें नियंत्रित और पारदर्शी रहती हैं।