दिल्ली के उप राज्यपाल (LG) विवेक सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच अरसे से 36 का आंकड़ा कायम है। दोनों एक दूसरे पर छींटाकशी का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देते। फिलहाल एलजी ने दिल्ली में आई बाढ़ को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की है।

एलजी का कहना है कि बाढ़ आई तो सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी थी। बाढ़ से निपटने का कोई इंतजाम सरकार के पास नहीं था। वो खुद भी बाढ़ प्रभावित इलाकों में गए थे। लोगों का हाल देखकर वो काफी दुखी हुए। लेकिन दुख इस बात से ज्यादा हुआ कि कहीं कोई इंतजाम नहीं था। सरकार नहीं समझ पा रही थी कि वो कैसे लोगों को बाढ़ से निजात दिलाए। कहने की जरूरत नहीं कि सरकार के पास कोई योजना ही नहीं थी।

एलजी बोले- यमुना की देखरेख का जिम्मा किसी एक सरकारी एजेंसी के पास हो

उप राज्यपाल का कहना है कि सरकारी महकमों के बीच आपस में कोई तालमेल नहीं था। जिन महकमों को बाढ़ के पहले और बाद के हालात पर नजर रखनी थी वो आपस में ही समन्वय स्थापित नहीं कर पा रहे थे। एलजी ने केजरीवाल को सलाह दी कि यमुना की देखरेख का जिम्मा कई महकमों की बजाए किसी एक महकमे या सरकारी एजेंसी को दिया जाए। उनका कहना था कि जिम्मा एक के पास रहेगा तो वो बहानेबाजी नहीं कर पाएगा।

केजरीवाल ने मढ़ा था हरियाणा पर दोष, खट्टर सरकार ने दिया था ये जवाब

ध्यान रहे कि कई सालों बाद दिल्ली में यमुना का इतना ज्यादा उफान देखा गया। देश की राजधानी के पॉश इलाकों तक यमुना का पानी पहुंचने लगा था। केजरीवाल सरकार का आरोप था कि बीजेपी शासित हरियाणा ने हथिनी कुंड बैराज से काफी मात्रा में पानी यमुना में छोड़ दिया। ये पानी दिल्ली पहुंचा तो हालात बेकाबू हो गए। दूसरी तरफ हरियाणा की दलील है कि वो पानी को अपने पास स्टोर करके नहीं रख सकता। अगर ऐसा करने की कोशिश भी की गई तो हरियाणा में यमुना के आसपास लगते जिलों में हालात बेकाबू हो जाएंगे। उन्हें बचाना हमारी सरकार की ही जिम्मेदारी है।