प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वालों को सरकार जल्द खुशखबरी सुना सकती है। कर्मचारियों की ग्रैचुटी पाने की समय सीमा खत्म की जा सकती है। अब संभावना जताई जा रही है कि काम के दिनों के हिसाब से ग्रैचुटी देने पर सहमति बन सकती है। इसके लिए सरकार पर दबाव भी बनाया जा रहा है। यह दबाव भारतीय मजदूर संघ बना रहा है। यह संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सहयोगी है।

सरकार से भारतीय मजदूर संघ ने कहा है कि, कर्मचारी हित में सरकार ऐसा नियम लाए जो जितने दिन काम करे उसे उतने दिन की ग्रैचुटी मिले। मजदूर संघ के महासचिव विरजेश उपाध्याय ने कहा, संगठन की बात सरकार से हो रही है। इसी विषय पर श्रम मंत्रालय के साथ एक बैठक भी हो चुकी है। जल्द ही एक और बैठक है। उपाध्याय ने कहा, अब कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट पर रखने के लिए कंपनियां ज्यादा ध्यान दे रही हैं।

उन्होंने कहा, अभी के नियम के मुताबिक सरकार ग्रैचुटी पानी की समय सीम को कम न करे, बल्कि हटा दे। अगर सरकार समय सीमा 3 साल की करती है तो कंपनियां इसमें खेल करेंगी। फिर कंपनी 3 से कम साल के लिए ही लोगों को रखेंगी। उन्होंने कहा, हमारी मांग है कि सरकार पेमेंट ऑफ ग्रैचुटी एकट 1972 में बदलाव कर समय सीमा समाप्त कर दे।

उपाध्याय ने बताया कि, अगर सरकार यह समय सीमा खत्म कर देती है तो इससे दो बदलाव होंगे। जो कर्मचारी हित में होंगे। एक तो कंपनी जल्द कर्मचारियों को बाहर नहीं करेगी। दूसरी ओर कर्मचारी भी आसानी से नौकरी बदल सकेगा। मौजूदा नियम के तहत किसी भी कर्मचारी को ग्रैचुटी तभी मिलती है जब वह किसी कंपनी में 5 साल की नौकरी पूरी कर लेता है।