केंद्र सरकार ने किसानों की समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द करने की दिशा में एक अनूठी पहल शुरू करने का निर्णय किया है। इस निर्णय के तहत महीने के हर अंतिम गुरुवार को देश के हर जिले के कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) पर ‘किसानों की बात’ का आयोजन किया जाएगा। सूत्रों ने यह जानकारी दी। इस कार्यक्रम की शुरुआत अगले महीने यानी सितंबर से हो जाएगी। प्रधानमंत्री अगले महीने ‘किसानों की बात’ कार्यक्रम का उद्घाटन कर सकते हैं।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में आमंत्रित किसानों से संवाद एवं राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली (एनपीएसएस) की शुरुआत के मौके पर गुरुवार को कहा था कि हमारा काम किसानों और वैज्ञानिकों को जोड़ना है। कई बार किसानों को जानकारी नहीं होती है, इसलिए वे गलत कीटनाशकों का इस्तेमाल कर लेते हैं। इसके बारे में जानना जरूरी है।
कार्यक्रम में कौन-कौन होगा शामिल?
कृषि मंत्री ने यह भी कहा था कि किसानों को विज्ञान का लाभ तुरंत मिले, इसके लिए हम महीने में एक बार किसानों की बात नाम से कार्यक्रम शुरू करेंगे। इसमें वैज्ञानिक बैठेंगे, कृषि विभाग के अधिकारी बैठेंगे, वह भी बैठेंगे और किसानों को जो भी जरूरी होगा, उसकी जानकारी दी जाएगी। कृषि विज्ञान केंद्र को किसानों से पूरी तरह जोड़ने की जरूरत है। किसानों तक वैज्ञानिक लाभ तुरंत पहुंचाने का काम किया जाएगा। अब जल्द ही वैज्ञानिकों से चर्चा और किसानों के बीच चर्चा होगी, ताकि हम कृषि के जरिए अन्नदाता बनने का चमत्कार कर सकें।
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देश में कितने कृषि विज्ञान केंद्र
देश भर में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के अंतर्गत 731 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) का संचालन किया जाता है। ये केंद्र देश के लगभग हर जिले में हैं। सूत्रों ने बताया कि हर जिले के केवीके पर महीने के हर अंतिम गुरुवार को ‘किसानों की बात’ का आयोजन किया जाएगा। इस आयोजन में कृषि विज्ञानी भी मौजूद रहेंगे। जिले के किसान इस दिन पहुंच कर अपनी समस्याओं के बारे में विज्ञानियों को बताएंगे और विज्ञानी समस्याओं का हाथों हाथ हल बताएंगे। ये वार्ताएं स्थानीय रेडियो, यूट्यूब सहित साेशल मीडिया मंचों पर उपलब्ध रहेंगी। सूत्रों ने बताया कि इससे न केवल किसानों की परेशानियां कम होंगी बल्कि उनकी उपज पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ेगा। इससे प्रयोगशाला से खेत तक की दूरी को पाटने में मदद मिलेगी।