गुजरात के गोधरा कांड के बाद 2002 में हुए दंगों के मामले में एक कोर्ट ने 17 मुस्लिमों की हत्या के मामले के 19 आरोपियों को बरी कर गिया। कोर्ट ने अपने फैसले में माना कि जिन 17 लोगों की हत्या के मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया था, उनमें आज तक लाशें भी नहीं मिल सकी हैं। घटनास्थल से दूर नदी किनारे हड्डियां मिलीं पर उनकी भी हालत ऐसी नहीं थी जो पहचान की जा सके। ऐसे में दोष तय करना बहुत मुश्किल है। खास बात है कि कुछ आरोपियों की ट्रायल के दौरान ही मौत हो चुकी थी। फैसला पंचमहल की कोर्ट से आया।

2002 के गुजरात दंगों को लेकर पुलिस ने 2004 में दूसरी एफआईआर की थी। इसमें 19 लोगों को आरोपी बनाया गया था। पुलिस ने इस मामले में 19 को अरेस्ट किया था। उसके बाद केस चलता रहा। लेकिन पुलिस उन 17 मुस्लिमों की लाशें बरामद नहीं कर सकी जिनकी हत्या का केस दर्ज किया गया था। इस दौरान पुलिस को एक नदी के किनारे से कुछ हड्डियां मिलीं। उन्हें फारेंसिक लैब में भेजा गया। लेकिन उनकी हालत ऐसी नहीं थी जो पहचान भी हो सके। अदालत ने अपने फैसले में माना कि दोष साबित करना नामुमकिन है। सभी को बरी कर दिया गया।

इससे पहले अपने साथ हुए गैंग रेप के 11 दोषियों की गोधरा जेल से कुछ महीने पूर्व हुई रिहाई के बाद बिलकिस बानो ने अपना दर्द बयां किया था। अपने साथ हुए वाकये को याद करके भी सिहरने वाली महिला का कहना है कि उनका न्याय व्यवस्था से ही विश्वास उठ गया है। वो कहती हैं कि दोषियों की रिहाई से पहले किसी ने भी उनकी और उनके परिवार की सुरक्षा के बारे में कोई ख्याल नहीं किया।

बिलकिस बानो का कहना है कि उनके जैसी बहुत सी महिलाएं हैं जिन्हें अपने साथ हुई यातना में कोर्ट से न्याय की दरकार है, लेकिन ऐसी औरतों को अब ठेस लगेगी। वो केवल अपनी बेटी को याद कर रही हैं। फैसले के बाद से ही सदमे में जा चुकी हैं। उनके पास शब्द नहीं हैं अपने दर्द को बयां करने के। बिलकिस का कहना है कि कोई उन्हें उनका वो अधिकार तो वापस दे दो जो उन जैसी औरतों को सुरक्षित माहौल में रहने का यकीन दिलाता है।