Gita Press: मोदी सरकार के गीता प्रेस गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार के लिए चुने जाने को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने विवादित ट्वीट किया है। उन्होंने गीता प्रेस गोरखपुर को पुरस्कार देने की तुलना गोडसे को सम्मानित करने से की है। इस ट्वीट को लेकर कांग्रेस के कई नेता भी नाराज हैं। केंद्र सरकार की ओर से गीता प्रेस को 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार दिया जाएगा। जयराम रमेश ने ट्ववीट में लिखा, “2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर में गीता प्रेस को प्रदान किया गया है जो इस साल अपनी शताब्दी मना रहा है। अक्षय मुकुल द्वारा इस संगठन की 2015 की एक बहुत ही बेहतरीन जीवनी है जिसमें वह महात्मा के साथ इसके तूफानी संबंधों और उनके राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चल रही लड़ाइयों का पता लगाता है। यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।”
जयराम के ट्वीट से कांग्रेस नाराज
सूत्रों का कहना है कि गीता प्रेस को लेकर जयराम रमेश के ट्वीट से कांग्रेस के कई नेता नाराज हैं। उन्होंने इस मामले में जयराम रमेश के बयान को गैर जरूरी बताया है। गीता प्रेस की ओर से भी इस मामले पर बयान सामने आया है। उसकी ओर से कहा गया है कि वह केंद्र सरकार से इस पुरस्कार लेंगे लेकिन पुरस्कार के लिए मिलने वाली राशि नहीं लेंगे। बता दें कि इस पुरस्कार के साथ पुरस्कार के रूप में एक करोड़ रुपये की राशि भी दी जाती है।
100 पहले हुई थी स्थापना
बता दें कि गीता प्रेस गोरखपुर की स्थापना 1923 में हुई थी। यह अब तक 14 भाषाओं में करीब 42 करोड़ किताबों का प्रकाशन किया है। गीता प्रेस की पहचान प्रमुख रूप से भगवत गीता के प्रकाशन को लेकर है। गीता प्रेस की ओर से अब तक जिन पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है उनमें 16 करोड़ से अधिक भगवत गीता हैं।