केंद्र सरकार ने पिछले साल नवंबर में संसद में जानकारी दी थी कि 2006 में बाल विवाह निरोधक अधिनियम (Prevention of Child Marriage Act) लागू होने के बाद से बाल विवाहों में आधी कमी आई है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि 2023 में होने वाली कुल शादियों में से 2.1 प्रतिशत मामलों में बाल विवाह का मामला था। हालांकि बंगाल, असम और तमिलनाडु में मामले अधिक हैं।

पश्चिम बंगाल और झारखंड में सबसे ज़्यादा मामले

कोविड प्रभावित वर्ष (2020) को छोड़कर देश में कुल शादियों में बालिका विवाह की दर दो प्रतिशत से ऊपर रही। 2019 से 2023 तक कुल शादियों में बालिका विवाह की दर पश्चिम बंगाल में सबसे ज़्यादा रही।

केरल, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के प्रदर्शन में सुधार

आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण भारत में कन्या बाल विवाह शहरी इलाकों की अपेक्षा अधिक है। ग्रामीण क्षेत्र में यह दर 2.5 फीसदी है जबकि शहरी क्षेत्र में 1.2 फीसदी है। हालांकि केरल, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा में ऐसे मामलों में कमी आई है। साथ ही इन तीन राज्यों के शहरी क्षेत्र में मामले लगभग जीरो हो गए हैं।

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2023 में बालिका विवाह के मामले (आंकड़ें प्रतिशत में) (Source- SRS REPORT, 2023)

राज्यकुल मामलेग्रामीण क्षेत्र में मामलेशहरी क्षेत्र में मामले
बंगाल6.35.80.6
झारखंड4.65.22
छत्तीसगढ़33.41.1
असम2.93.11.8
बिहार2.62.81.1
भारत में मामले2.12.51.2

ऊपर दिए आंकड़ों से साफ पता चलता है कि बंगाल और झारखंड में स्थिति चिंताजनक है। बंगाल और झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में मामले अधिक हैं। हालांकि शहरी क्षेत्र में मामले कम हैं।

PCMA के तहत दर्ज मामले

हालांकि कोरोना के बाद प्रोहिबिशन ऑफ़ चाइल्ड मैरिज एक्ट, 2006 (PCMA-2006) के तहत मामले अधिक दर्ज किए गए हैं। असम, तमिलनाडु और बंगाल में मामलों की संख्या अधिक है।

PCMA के अंतर्गत रजिस्टर्ड बाल विवाह मामलों का हिस्सा (बालिका विवाह के आधार पर टॉप 5 और निचले 5 राज्यों में) (आंकड़ें प्रतिशत में)

राज्य20182019202020212022
बंगाल14.0613.1312.5810.0512.11
झारखंड1.410.580.390.380.5
छत्तीसगढ़0.400.1300
असम17.6722.217.7214.8316.32
बिहार7.031.540.641.051.3
केरल3.611.351.031.150.6
हिमाचल प्रदेश1.810.770.640.480.4
हरियाणा4.223.864.243.163.7
तमिलनाडु13.458.889.8816.1715.52
पंजाब1.21.161.670.770.4
भारत (in num)4985187791045999

वहीं अगर हम PCMA के अंतर्गत रजिस्टर्ड मामलों की बात करें, तो बंगाल, असम और तमिलनाडु की स्थिति चिंताजनक है। इन तीनों ही राज्यों में आंकड़े 10 फ़ीसदी से अधिक है।