सिंगर फरमानी नाज एक भजन गाने के कारण विवादों में घिर गईं हैं। फरमानी नाज ने सावन महीने कांवड़ यात्रा के दौरान ‘हर-हर शिव शंभू’ भजन गया और इसी कारण अब देवबंदी उलेमा उनके खिलाफ हो गए हैं। इस गाने पर देवबंद के एक उलेमा ने उन्हें नसीहत देते हुए ऐसे गानों को न गाने के लिए कहा है। उलेमा ने कहा है कि इस्लाम में किसी भी तरह के गाने की मनाही है। ये मुद्दा पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ हुआ है।
इसी मुद्दे को लेकर समाचार चैनल एबीपी न्यूज़ पर बहस चल रही थी और बहस में खुद फ़रमानी नाज और इस्लामिक स्कॉलर गुलाम सरवर मौजूद थे। बहस के दौरान गुलाम सरवर ने कहा, “किसी ने इस पर कोई फतवा नहीं मांगा और मुझे आश्चर्य इस बात पर है कि जब बिना मांगे डॉक्टर दवाई नहीं देता है तो ये मौलाना फतवा कहां से देते हैं। किसने गाने पर फतवा माँगा था और क्या मौलाना सबकुछ छोड़कर फ़रमानी नाज का ही गाना सुन रहे हैं क्या?”
गुलाम सरवर ने आगे कहा, “कुदरत ने हर इंसान को कुछ खूबियाँ दी हैं और फ़रमानी नाज को भी खूबियां दी हैं। यह एक कला है। जब फ़रमानी नाज बुरे दौर से गुजर रहीं थीं, तब इनलोगों का ध्यान नहीं गया। आज अपनी कला का उपयोग करके शोहरत और दौलत वह कमा रही हैं, तो किसी को हक़ नहीं कि वह फ़रमानी नाज पर किसी भी प्रकार का फतवा लाए। भारत को ऐसे अनेक सपूत मिले हैं जिन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया है।
वहीं इस पूरे विवाद पर फ़रमानी नाज ने भी बयान दिया है। फरमानी ने कहा कि वह एक कलाकार हैं, ऐसे में उन्हें हर तरह के गीत गाने होते हैं। उन्होंने कहा कि हम गीत गाते वक्त ये सोचते कि हम कौन है, हम किस धर्म से हैं। हम कलाकार हैं और कलाकार का कोई धर्म नहीं होता। बता दें कि ‘हर-हर शिव शंभू’ भजन पर पूरा विवाद शुरू हुआ।
फरमानी नाज मुजफ्फरनगर की रहने वाली हैं। उनकी शादी मेरठ के इमरान से हुई थी। लेकिन बाद में ससुराल वाले उन्हें परेशान करने लगे, जिसके बाद वह अपने मायके आ गईं। उनके गाने यूट्यूब पर अपलोड होते हैं और लोग खूब पसंद करते हैं।