2010 में पुणे की जर्मन बेकरी बम ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एकमात्र आरोपी हिमायत बेग को बरी कर दिया। हालांकि कोर्ट ने हिमायत को विस्फोटक सामग्री रखने का दोषी पाया और उम्र कैद की सजा सुनाई है। गौरतलब है कि सेशन कोर्ट ने हिमायत को धमाके का दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। जर्मन बेकरी बम धमाकाें में 20 लोगों की मौत हुई थी।
जस्टिस एनएच पाटिल और एसबी शुक्रे ने फैसला सुनाते हुए कहा,’आपको फांसी की सजा से बरी किया जाता है।’ निचली अदालत ने हिमायत को अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट(यूएपीए) की दो, आईपीसी की दो और एक्सप्लोसिव सब्सटेंस एक्ट की एक धारा समेत पांच धाराओं में फांसी की सजा सुनाई थी। गुरुवार को कोर्ट ने हिमायत को इन पांचों धाराओं से बरी कर दिया। लेकिन आईपीसी की धारा 474 और एक्सप्लोसिव सब्सटेंस एक्ट की धारा 5(बी) के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई। ये दाेनों धाराएं विस्फोटक सामग्री रखने और फर्जी दस्तावेजों से जुड़ी हुई है।
इस मामले में दो गवाहों ने याचिका दायर कर कहा था कि ट्रायल के दौरान उन पर हिमायत बेग के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव डाला गया। आप नेता आशीष खेतान ने भी याचिका दायर स्टिंग ऑपरेशन के जरिए दावा किया था कि गवाहों ने खुलासा किया था कि उन पर बयान बदलने के लिए महाराष्ट्र एटीएस ने दबाव डाला था।