समलैंगिकता और व्यभिचार पर पिछले वर्ष आए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले भारतीय सेना में लागू नहीं होंगे। पीटीआई की खबर के मुताबिक सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने गुरुवार (10 जनवरी) को मीडिया से बात करते हुए कहा भारतीय सेना में समलैंगिकता और व्यभिचार के लिए इजाजत नहीं दी सकती है। सुप्रीम कोर्ट के दो ऐतिहासिक फैसलों के असर पर किए गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ”सेना में यह स्वीकार्य नहीं है।” सेनाध्यक्ष ने कहा कि हालांकि सेना किसी कानून से ऊपर नहीं है लेकिन सेना में गे सेक्स और एडल्ट्री को अनुमति देना संभव नहीं होगा। व्यभिचार पर जवाब देते उन्होंने कहा, “सेना रूढ़िवादी है। सेना एक परिवार है। हम इसे सेना में जारी रखने की अनुमति नहीं दे सकते हैं।” उन्होंने कहा कि सीमाओं पर तैनात सैनिकों और अधिकारियों को उनके परिवार के बारे में चिंतित होने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। सेना के जवानों का आचरण सेना अधिनियम द्वारा नियंत्रित होता है। उन्होंने कहा, ”हमने कभी नहीं सोचा कि सेना में ऐसा हो सकता है। जो कुछ भी सोचा गया उसे सेना अधिनियम में डाल दिया गया। जब सेना अधिनियम बनाया गया तब यह सुना नहीं गया था। हमने कभी नहीं सोचा था कि यह होने वाला है। हम इसे कभी अनुमति नहीं देते हैं। इसलिए इसे सेना अधिनियम में नहीं डाला गया था।”
वहीं, सेना प्रमुख की टिप्पणी पर एलजीबीटी अधिकारों के लिए काम करने वाले अशोक रो कवि ने कहा, ”इस बात से सहमत हूं कि उनके अधिकारियों के निजी जीवन के बारे में अनुशासन होना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि वह इसे नियंत्रित कर सकते हैं, उसने कुछ असत्य बातें कही, समलैंगिकता हमेशा हमारी संस्कृति में थी और होमोफोबिया अंग्रेजों के साथ आया था।”
Ashok Row Kavi, LGBT rights activist on Army chief's remark: Agree, there should be discipline, regarding private life of his officers. I don't think he can regulate that, he said some untrue things, homosexuality was always in our culture & homophobia came in with British. pic.twitter.com/Ny5soLSCDt
— ANI (@ANI) January 10, 2019
वहीं, पत्रकारों से बात करते हुए सेना प्रमुख ने कहा, ”मुझे लगता है कि जो कुछ भी कहा जा रहा है या बात हो रही है, उसे भारतीय सेना में नहीं होने दिया जाएगा।” जनरल रावत ने कहा कि सेना कानून से ऊपर नहीं है और सर्वोच्च न्यायालय देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था है। बता दें कि सेना के जवानों के व्यभिचार के कई मामले सामने आ चुके हैं और उनके कोर्ट-मार्शल की खबरें भी आ चुकी हैं। सेना की भाषा में व्यभिचार कुछ इस प्रकार परिभाषित किया जाता है- ”भाई जैसे अधिकारी की पत्नी का प्यार चुराना।” सेनाध्यक्ष ने कहा, ”हम देश के कानून से ऊपर नहीं है लेकिन जब भारतीय सेना में शामिल होते हैं, आपके द्वारा प्राप्त किए गए कुछ अधिकार और विशेषाधिकार हमारे पास नहीं होते हैं। कुछ चीजें अलग हैं।”
