सुकमा में नक्सली हमले की घटना ने क्रिकेटर गौतम गंभीर को अंदर तक व्यथित कर दिया है। कोलकाता नाइट राइडर्स के कप्तान गौतम गंभीर ने कैप्टन डायरी कॉलम में अपनी भावनाओं को बयां किया है। गौतम गंभीर ने लिखा है कि मुझे ये खेल बेहद पसंद है, लेकिन कुछ घटनाएं आपको इस कदर झिंझोड़ देती है कि मेरे लिए क्रिकेट खेलने का मतलब नहीं जाता है। गौतम गंभीर कहते हैं कि आईपीएल के एक पिछले मैच में मुझे ऐसे ही खालीपन का एहसास हुआ था। हाल ही में छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ जवानों पर हमले की यादें मेरे जेहन में अबतक ताजा है। गौतम गंभीर ने लिखा, ‘ मैने बुधवार (26 अप्रैल) सुबह को हमले में मारे गये जवानों के परिवार वालों की तस्वीरें अखबार में देखी थी। एक तस्वीर में एक जवान की बेटी अपने शहीद पिता को सैल्युट कर रही थी तो दूसरी तस्वीर में रोती हुई बच्ची को उसके परिवार वाले ढाढ़स बंधा रहे थे।
गौतम गंभीर आगे लिखते हैं कि हमें पुणे के खिलाफ खेलना था, मैं सेलेक्शन मीटिंग से बैट्समैन मीटिंग फिर वहां से बॉलर्स मीटिंग में जा रहा था, मैं सोच रहा था कि केकेआर जीते या हारे उन 25 CRPF परिवार वालों को क्या फर्क पड़ता होगा, मैंने अपने कुछ साथियों से इस बारे में चर्चा की लेकिन उन्होंने कहा, अपना काम करो, इसे चलने दो, किसी को कुछ फर्क नहीं पड़ रहा था। गौतम गंभीर भरे मन से आगे लिखते हैं, ‘मैंने तय किया कि गौतम गंभीर फाउंडेशन शहीदों के बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाएगा। जब मैं इन खेलने मैदान पर उतरा तो छत्तीसगढ़ मेरा पीछा नहीं छोड़ रहा था। पहला बॉल फेंका जाने वाला था लेकिन छत्तीसगढ़ का दृश्य मेरे जेहन में मौजूद था। आखिरकार एक सीमा के बाद मैं थक गया, मैं समझ गया था कि सुकमा के दृश्य एक वक्त के बाद ही मेरा पीछा छोड़ने वाले थे।
गौतम गंभीर का कहना है कि, ‘टीम वर्क और स्वार्थ रहित भावना की वजह से ही मैं क्रिकेट को प्यार करता हूं। लेकिन मैं इन्हीं कारणों से आर्म्ड फोर्सेज को भी पसंद करता हूं, लेकिन देश की सेवा करते वक्त अपने किसी करीबी को खोने के दर्द की तुलना क्रिकेट के एक मैच हारने से कतई नहीं की जा सकती है।’
