दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स बन चुके गौतम अडानी की विकास यात्रा काफी रोचक है। 1998 में मुंद्रा एयरपोर्ट को लेकर सुर्खियों में आए अडानी ग्रुप की आज तकरीबन हर बिजनेस में धाक है। उनकी ये कहानी रिलायंस के संस्थापक धीरू भाई अंबानी की याद दिलाती है। 1960 के दशक में बिमल के साए तले अपने कारोबार की शुरुआत करने वाले धीरूभाई ने खुद को इतना मजबूत बना दिया कि वो टाटा बिड़ला के समकक्ष खड़े हो गए।

लेकिन देखा जाए तो धीरूभाई अंबानी का कामकाज भी उतना ज्यादा नहीं फैला जिस तरह से अडानी ने अपना कारोबार बढ़ाया है। पहले एशिया के सबसे अमीर शख्स और अब दुनिया के तीसरे सबसे बड़े आदमी। उनकी गाथा बहुत कुछ राम कृष्ण डालमिया से मिलती है। उन्होंने 1933 में बिहार में एक शुगर मिल से काम की शुरुआत की और फिर वो इंश्योरेंस के क्षेत्र में उतर गए।

डालमिया ने इसके बाद भारत इंश्योरेंस कंपनी का अधिग्रहण किया। उसके बाद पांच सीमेंट के कारखाने स्थापित किए और फिर आया उनका ACC ब्रांड। इतनी सफलता के बाद भी उनके कदम नहीं रुके। वो बैंकिंग सेक्टर में गए और भारत बैंक को जन्म दिया। कोयले, वनस्पति, बिस्किट, रेलवे, जूट और मोटर व्हीकल के कारोबार में भी वो खासे सफल रहे। अडानी के देखकर उनके कारोबार की यादें तरोताजा हो जाती हैं।

गौतम अडानी भी डालमिया की तरह से कारोबार कर रहे हैं। दुनिया के तमाम कारोबारों में उनका हाथ है लेकिन फिर भी उन्होंने BQ प्राईम के 49 फीसदी शेयर खरीदने के बाद NDTV पर कब्जे के लिए कदम आगे बढ़ा दिए। ऐसा नहीं है कि अडानी के लिए न्यूज के कारोबार में उतरना एक मजबूरी थी। उनके पास कई काम ऐसे हैं जो भारी मुनाफा दे रहे हैं, लेकिन भारत पर एक तरह से horizontal control की ये कवायद है।

horizontal control मॉडल में कारोबारी कई ऐसे कारोबार में अपने पैर पसारते हैं जहां सिर्फ उसकी रेपुटेशन से काम चल जाता है। वो इन सारे कामकाज में प्रवेश कर अपने ग्रुप को बेहद मजबूत बनाना चाहते हैं।