मोटिवेशनल स्पीकर गौर गोपाल दास ने गुरुवार को इंडियन एक्सप्रेस के प्रोग्राम ‘एक्सप्रेस अड्डा’ में बताया कि क्यों सम्मानपूर्वक असहमत होने के लिए सहमत होना चाहिए। दरअसल ‘एक्सप्रेस अड्डा’ प्रोग्राम को होस्ट कर रहे इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनंत गोयंका ने उनसे सवाल किया था कि क्या आजकल ‘मल्टीपलीसिटी ऑफ आइडेंटिटी’ की वजह से हमारे लिए लोगों में अच्छाई देखना कठिन हो जाता है?
इस सवाल के जवाब में गौर गोपाल दास ने समझाते हुए कहा, “क्या यह क्लोन की दुनिया है? क्या आप क्लोन की दुनिया में रहना चाहते हैं, जहां हर किसी को हर डिटेल पर हर किसी से सहमत होना पड़ता है या क्या हमें भी अपना व्यक्तित्व रखने की जरूरत है और हम सम्मानपूर्वक असहमत होने के लिए सहमत हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “कभी-कभी चीजें बहुत ज्यादा बेशर्मी से, असंवेदनशील तरीके से की जाती हैं। अगर हम सम्मानपूर्वक असहमत होने के लिए सहमत हो सकते हैं, संघर्ष जीवन का हिस्सा है, असहमति जीवन का हिस्सा है, लेकिन लोगों के गहरे पहलू से जुड़ना भी बहुत महत्वपूर्ण है और इसीलिए मैं कई बार कहता हूं, इंसान घर-घर में जन्म लेता है, इंसानियत कहीं-कहीं पे जन्म लेती है।”
गौर गोपाल दास ने आगे कहा कि अगर मानवता हर जगह पैदा होती तो हम असहमत होने के लिए सहमत होते। हमारे बीच संघर्ष होते लेकिन हम यह जानने के लिए बहुत गहरे स्तर पर भी जुड़ते कि यह हमारी रोल्स से आगे का कनेक्शन है।
स्ट्रेस और ट्रॉमा से कैसे पाएं छुटकारा?
स्ट्रेस और ट्रॉमा से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए गौर गोपाल दास ने कहा कि हमारी पुरानी यादें, हमारा तनाव, हमारे साथ जो हुआ वह कुछ ऐसा है, जिसे हम दिमाग में लेकर घूम रहे हैं। अगर हम लगातार किसी चीज को पकड़े रहेंगे तो उसका असर पड़ना तय है। आप उससे छुटकारा नहीं पा सकते लेकिन कम से कम कभी-कभी उससे दूरी बना सकते हो। हमें मानसिक रूप से स्थिर रखने के लिए ‘मेंटल डिटॉक्स’ बहुत जरूरी और अनिवार्य है। मेडिटेशन इसमें फायदेमंद है। जर्नलिंग भी लाभदायक है। उन्होंने कहा कि जर्नलिंग मन की हर बात को कागज पर उतारने का ताकतवर तरीका है।