गलवान और सियाचिन ग्लेशियर समेत दुनिया के कुछ सबसे मुश्किल भरे इलाकों में तैनात सैनिक अब अपने परिवारों के साथ संपर्क में रह सकते हैं। सेना ने चीन और पाकिस्तान के बॉर्डर से लगे लद्दाख के दूरदराज और ऊंचाई वाले इलाकों में 4जी और 5जी मोबाइल कनेक्टिविटी की सुविधा जवानों को दी है। सेना ने शनिवार को कहा, ‘यह पहल 18,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर अलग-थलग सर्दियों के कट-ऑफ चौकियों पर सेवा दे रहे सैनिकों के लिए मनोबल बढ़ाने वाली साबित हुई है। इससे उन्हें अपने परिवारों और प्रियजनों के साथ जुड़े रहने में काफी मदद मिली है।’
अधिकारियों ने कहा कि दौलत बेग ओल्डी , गलवान, डेमचोक, चुमार, बटालिक, द्रास और सियाचिन ग्लेशियर जैसे इलाकों में तैनात सैनिकों को अब 4जी, 5जी कनेक्टिविटी की सुविधा मिलेगी। सेना ने पूर्वी लद्दाख, पश्चिमी लद्दाख और सियाचीन ग्लेशियर व दूरदराज वाले क्षेत्रों में डिजिटल विभाजन को पाटने की दिशा में एक अहम कदम बताया।
राजौरी विवाद का दूसरा पक्ष आया सामने
सियाचिन ग्लेशियर पर भी 5जी मोबाइल टावर लगाया गया
डिफेंस मिनिस्ट्री के पीआरओ अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल सुनील बर्त्वाल ने एक बयान में कहा कि ऐतिहासिक उपलब्धि सियाचिन ग्लेशियर पर 5जी मोबाइल टावर की सफल स्थापना थी। यह दुनिया का सबसे ऊंचा बैटलफील्ड है। बयान में कहा गया है कि यह प्रयास सरकारी ढांचे की वजह से ही संभव हो पाया है। इसमें इंडियन आर्मी ने अपने मजबूत ऑप्लिटक फाइबर केबल इंफ्रास्ट्रक्चर का फायदा उठाते हुए टीएसपी और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन के साथ साझेदारी की है।
दूरदराज वाले इलाकों की बन गया लाइफलाइन
इतना ही नहीं इस बयान में यह भी कहा गया है कि फायर एंड फ्यूरी कोर ने इस तालमेल को संभव बनाने में काफी अहम भूमिका निभाई है। इसी की वजह से कई टावरों को लगाया जा सका। इनमें अकेले लद्दाख और कारगिल जिलों में चार प्रमुख टावर शामिल हैं। इस बात पर जोर देते हुए कि इस पहल का असर सैनिक कल्याण से बहुत ज्यादा है। स्थानीय लोगों ने इस पहल को सराहनीय कदम बताया है। मोबाइल नेटवर्क सिर्फ एक कम्युनिकेशन का ही साधन नहीं है, बल्कि अब यह दूरदराज वाले इलाकों के लिए लाइफ लाइन बन गया है। इंडियन आर्मी के फिजिकल टेस्ट को आसान बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं