चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत में होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे। उनकी जगह देश के प्रधानमंत्री ली कियांग चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। यह पहली बार होगा जब चीनी राष्ट्रपति G-20 समिट में भाग नहीं लेंगे। वहीं, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने भी संवेदनशील समय, यूक्रेन के साथ तनाव और तमाम परिस्थितियों के मद्देनजर सम्मेलन के लिए भारत आने में असमर्थता जताई है। उनके प्रतिनिधि के तौर पर विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव यहां होंगे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ राष्ट्राध्यक्ष 9-10 सितंबर को भारत में भारत में होने वाले G20 शिखर सम्मेलन को छोड़ सकते हैं। सूत्रों ने कहा कि कई नेता समय-समय पर अपने खुद के कारणों से शिखर सम्मेलन को छोड़ देते हैं और हर नेता के लिए हर शिखर सम्मेलन में भाग लेना हमेशा संभव नहीं होता है। 2008 के बाद से अब तक हुए 16 फिजिकल G20 शिखर सम्मेलनों में से 2008 और 2009 को छोड़कर, 2010 से अब तक एक भी ऐसा मौका नहीं आया है जब हर देश के राज्य प्रमुख या सरकार प्रमुख ने समिट में भाग लिया हो।

हर नेता के लिए सभी शिखर सम्मेलन में भाग लेना हमेशा संभव नहीं

जानकारों के मुताबिक, वैश्विक शिखर सम्मेलनों में उपस्थिति का स्तर साल-दर-साल बदलता रहता है। नेताओं के समय की कमी के चलते हर नेता के लिए सभी शिखर सम्मेलन में भाग लेना हमेशा संभव नहीं होता है। इसका सबसे लेटेस्ट उदाहरण इटली में 2021 का G20 शिखर सम्मेलन है जहां नेताओं के इसे छोड़ने का कोई बड़ा राजनीतिक या स्वास्थ्य कारण नहीं था। पर परिस्थितियां ऐसी बनीं कि छह देशों ने राज्य प्रमुख या सरकार प्रमुख ने इसमें भाग नहीं लिया। सूत्रों ने कहा कि इसका मेज़बान देश से कुछ भी लेना देना नहीं है।

इन सम्मेलनों में नहीं पहुंचे 6 देशों के राष्ट्राध्यक्ष

2008 से G20 के 16 फिजिकल शिखर सम्मेलन और एक वर्चुअल समिट (सऊदी अरब, 2020) हो चुकी है। 2009 और 2010 में दो-दो शिखर सम्मेलन हुए थे। सूत्रों ने कहा कि ऐसे छह मौके (2010, 2011, 2012, 2013, 2016, 2017) आए हैं जब एक देश का प्रतिनिधित्व हेड ऑफ स्टेट और हेड ऑफ गवर्नेंट स्तर से नीचे के लोगों ने किया। उन्होंने कहा कि पांच बार (2010, 2014, 2015, 2018, 2019) दो देशों का प्रतिनिधित्व HOS/HOG से नीचे हुआ था। इंडोनेशिया में 2022 शिखर सम्मेलन में, तीन देशों का प्रतिनिधित्व HOS या HOG स्तर से नीचे था। 2021 में, यूक्रेन संघर्ष से पहले और COVID-19 संकट के बाद, 6 देशों का प्रतिनिधित्व एचओएस या एचओजी स्तर से नीचे था।

G20 शिखर सम्मेलन में देशवार भागीदारी की बात की जाए तो कनाडा, जर्मनी, भारत, इटली, दक्षिण कोरिया, तुर्कीए, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ ने कभी भी HOS या HOG स्तर से नीचे भाग नहीं लिया है। सऊदी अरब ने एचओएस/एचओजी स्तर से नीचे के नेताओं के साथ शिखर सम्मेलन में नौ बार भाग लिया है और 2017 में देश का प्रतिनिधित्व बिना पोर्टफोलियो वाले राज्य मंत्री ने किया था। सूत्रों ने कहा कि मेक्सिको ने एचओएस या एचओजी स्तर से नीचे के अधिकारी के साथ तीन बार शिखर सम्मेलन में भाग लिया है और देश के राष्ट्रपति ने 2018 के बाद से इसमें भाग नहीं लिया है।

सूत्रों ने कहा कि अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील और रूस की ओर से दो बार एचओएस या एचओजी स्तर से नीचे के शिखर सम्मेलन में भाग लिया है। चीन, फ्रांस, इंडोनेशिया, जापान और दक्षिण अफ्रीका ने एक बार HOS या HOG स्तर से नीचे के शिखर सम्मेलन में भाग लिया है।

भारत 9 और 10 सितंबर को दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। नई दिल्ली G20 शिखर सम्मेलन के इतिहास में बसे बड़ी भागीदारी देखी जाएगी। ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (G20) में 19 देश शामिल हैं – अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, अमेरिका, यूके और यूरोपीय संघ।