भारत पूरी दुनिया के सामने अपना दम दिखा रहा है, जी20 का आयोजन उसने इस स्तर पर किया है कि तमाम मुल्क देखते रह गए हैं। राजधानी दिल्ली में इस समय बड़े स्तर पर तैयारी कर ली गई है, नेताओं के आने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। लेकिन एक सवाल मन में आता है, आखिर भारत का पड़ोसी पाकिस्तान जी20 से बाहर कैसे चल रहा है? इस समय जी20 के कई ऐसे देश हैं जो पाकिस्तान से छोटे हैं, जहां की आबादी भी कम है, लेकिन उन्हें इस मंच पर आने का मौका दिया गया है।
अब पाकिस्तान के मन में भी ये सवाल टीस की तरह लगातार चुभता रहता है। वो कहने को भारत के सामने बड़ी-बड़ी डींगे हांकता है, कई मौकों पर खुद को आगे भी बताने की कोशिश करता रहता है, लेकिन जी20 में उसका ना होना ही बता रहा है कि उसकी वास्तविकता क्या है, वो कहां पर असल में खड़ा हुआ है। पाकिस्तान, भारत से ही अलग होकर बना है, उसके पास भी वो तमाम भौगोलिक फायदा मौजूद रहे जिससे उसका तेज विकास हो सके। लेकिन राजनीतिक अस्थिरता, सेना के साथ लगातार होता टकराव और कर्ज में डूबती अर्थव्यवस्था ने उसका बेड़ा गर्क कर दिया।
खस्ता अर्थव्यस्था, बढ़ता कर्ज
यहां ये समझना जरूरी है कि जी20 में उन देशों को शामिल किया जाता है जिनकी आर्थिक सेहत दुरुस्त होती है, जिनका आर्थिक आकार बड़ा रहता है और जिनका प्रभाव पूरी दुनिया पर किसी ना किसी तरह से पड़ता रहता है। अब पाकिस्तान के साथ समस्या ये है कि इन तीनों ही बेसिक पैरामीटर्स पर भी वो खड़ा नहीं उतरता है। पूरी दुनिया की बात करें तो अर्थव्यवस्था के मामले में पाकिस्तान 42वें स्थान पर खड़ा है। बांग्लादेश, पोलैंड, स्वीडन जैसे कई छोटे देश भी अर्थव्यवस्था की दृष्टि से पाकिस्तान से काफी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
मिलिट्री के साथ खराब रिश्ते, तख्तापलट का खेल
अब पाकिस्तान का इतिहास भी कुछ ऐसा रहा है कि उसका जी20 में शामिल होना बहुत मुश्किल है। इसे ऐसे समझिए कि पाकिस्तान में अब तक कोई भी प्रधानमंत्री अपना पांच साल का कार्यकाल भी पूरा नहीं कर सका है। 72 सालों में से भी 34 साल तक मिलिट्री का देश पर राज रहा है। ऐसे में नेताओं की सेना के साथ जारी तकरार ने इस देश के विकास को रोक दिया है। हालात ज्यादा इसलिए विस्फोटक बन चुके हैं कि पिछले कुछ सालों की नीतियों ने पाकिस्तान को ऐसे कर्ज जाल में फंसा दिया है जहां पर कर्ज चुकाने के लिए भी नया कर्ज लेना पड़ा रहा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान पर 100 अरब डॉलर से ज्यादा का विदेशी कर्ज चढ़ चुका है। IMF की तरफ से तो दो टूक कहा जा चुका है कि अगर पाकिस्तान ने समय रहते अपना कर्ज नहीं चुकाया तो दिवालिया होने की स्थिति बन जाएगी। पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय ये भी है कि एक साल के भीतर में ही वहां के हर नागरिक पर भी 37,608 रुपये तक का कर्ज बढ़ चुका है।
चीन से दोस्ती पड़ रही है भारी
अब खस्ता अर्थव्यवस्था तो पाकिस्तान के लिए बड़ा रोड़ा है, इसके साथ-साथ उसका आतंकवाद का समर्थन करना भी उसे कई देशों के बीच में विवादित छवि वाला बना देता है। इसके ऊपर काफी लंबे समय भारत और अमेरिका दोनों पाकिस्तान को आइसोलेट करने में लगे हुए हैं। कारण सिंपल है- चीन से उसकी बढ़ती नजदीकियों ने कई समीकरणों को बदल दिया है। जानकार मानते हैं की चीन की दोस्ती की वजह से भी पाकिस्तान पूरी दुनिया में अकेले पड़ गया है, उसके नए साथी नहीं बन पाए हैं।
इन संगठनों का हिस्सा बस पाकिस्तान
वर्तमान में पाकिस्तान UN, OIC, SAARC, NAM जैसे अंतरराष्ट्री संगठनों का सदस्य है। लेकिन वो क्वाड, ब्रिक्स जैसे कई अहम दूसरे संगठनों में शामिल नहीं किया गया है। जी20 भी एक ऐसा मंच है जहां से पूरी दुनिया का नेरेटिव तय किया जाता है, लेकिन वहां भी पाकिस्तान की कोई भागीदारी नहीं है। पाकिस्तान के ही कुछ नेता पहले कह रहे थे कि 2025 तक उनका देश भी जी20 का हिस्सा बन जाएगा. लेकिन वर्तमान स्थिति को देखकर वो आसार भी मुश्किल ही नजर आ रहे हैं।