सात अमीर देशों के समूह ‘जी-7’ के ऊर्जा और पर्यावरण मंत्रियों ने स्वच्छ एवं नवीकरणीय ऊर्जा की ओर तेजी से कदम बढ़ाने का आह्वान किया, लेकिन कोयला आधारित ऊर्जा संयंत्रों को बंद करने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की। जी-7 देशों के नेताओं की दो दिवसीय वार्ता रविवार को पूरी हुई। जी-7 अधिकारियों ने उत्तरी जापान के सापोरो शहर में वार्ता के बाद एक बयान जारी किया।
36 पेज का यह दस्तावेज मई में होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन से पहले तैयार किया गया है। जापान को अपनी खुद की राष्ट्रीय ऊर्जा रणनीति के लिए जी-7 देशों से समर्थन मिला। इस नीति में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए तथाकथित स्वच्छ कोयला, हाइड्रोजन र्इंधन और परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल पर जोर दिया गया है।
बयान में कहा गया है, ‘मौजूदा वैश्विक ऊर्जा संकट और आर्थिक बाधाओं को देखते हुए हम 2050 तक शून्य ग्रीनहाउस गैस उर्त्सजन के लिए स्वच्छ ऊर्जा अपनाने के प्रयासों को तेज करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।’ इसमें कहा गया है कि जी-7 नेताओं ने प्रभावी, किफायती और विविध ऊर्जा स्रोतों का पता लगाने की महत्ता पर जोर दिया है।
यह आह्वान तब किया गया है, जब चीन और अन्य विकासशील देशों ने यूक्रेन पर रूस के युद्ध से उत्पन्न बाधाओं के बीच ऊर्जा कीमतों और आपूर्ति को स्थिर करने तथा जीवाश्म र्इंधन के इस्तेमाल में कमी लाने में और मदद करने की मांग तेज कर दी है। बहरहाल, कोयला आधारित ऊर्जा संयंत्रों को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के लिए समयसीमा तय करने का मुद्दा लंबे समय से अटका हुआ है। जापान अपने एक-तिहाई ऊर्जा उत्पादन के लिए कोयला पर निर्भर है और वह तथाकथित स्वच्छ कोयला के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रहा है। रविवार को जारी दस्तावेज में कार्बन उत्सर्जन फौरन कम करने की आवश्यकता को दोहराया गया है।
दुनिया की करीब 40 फीसद आर्थिक गतिविधियां और एक-चौथाई कार्बन उत्सर्जन जी-7 देशों में होता है। संयुक्त राष्ट्र की अगली जलवायु वार्ता के लिए मनोनीत अध्यक्ष सुल्तान अब जाबेर ने एक बयान जारी कर जी-7 देशों से विकासशील देशों को जीवाष्म र्इंधन छोड़ स्वच्छ ऊर्जा अपनाने के लिए अधिक वित्तीय सहयोग देने का अनुरोध किया।