पीएम मोदी (PM Narendra Modi) ने शनिवार (24 दिसंबर) को श्री स्वामीनारायण गुरुकुल राजकोट संस्थान के 75वें अमृत महोत्सव को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति (NEP) के माध्यम से भविष्य की शिक्षा व्यवस्था बनाई जा रही है।
2014 के बाद मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 65 फीसदी की बढ़ोतरी- PM Modi
पीएम मोदी ने कहा, “आज देश में IIT, IIIT, IIM और AIIMS जैसे बड़े शिक्षण संस्थानों की संख्या बढ़ रही है। 2014 के बाद मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 65 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी देखी गई है। नई शिक्षा नीति के माध्यम से देश पहली बार एक ऐसी शिक्षा प्रणाली तैयार कर रहा है जो भविष्योन्मुखी है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “आप अच्छी तरह जानते हैं कि भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए, हमारी मौजूदा शिक्षा नीति और संस्थानों की बड़ी भूमिका है। इसलिए आजादी के इस अमृत काल में चाहे शिक्षा का ढांचा हो या शिक्षा नीति, हम और तेजी से और विस्तार से जुड़े रहते हैं। उन्होंने कहा, “शून्य से अनंत तक हमने हर क्षेत्र में शोध किए, नए निष्कर्ष निकाले। आज आजादी के इस अमृतकाल में देश एजुकेशन इनफ्रास्ट्रक्चर हो या एजुकेशन पॉलिसी हर स्तर पर काम कर रहा है।”
पिछली सरकार की गुलाम मानसिकता ने उन्हें हमारी महान शिक्षा प्रणाली का महिमामंडन नहीं करने दिया- PM Modi
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं राजकोट गुरुकल के 75 वर्षों की इस यात्रा के लिए आप सभी जो हृदय से बधाई देता हूं। इस संस्थान का भविष्य और भी यशस्वी और सेवा क्षेत्र में इसका योगदान अप्रतिम होगा। उन्होंने कहा, “पिछली सरकार की गुलाम मानसिकता ने उन्हें कभी भी हमारी महान शिक्षा प्रणाली का महिमामंडन नहीं करने दिया। हमारे शिक्षकों और पुजारियों ने यह जिम्मा उठाया कि स्वामीनारायण गुरुकुल में हमारी परंपराओं और मूल्य-आधारित शिक्षा प्रदान की जाए।”
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “जिस कालखंड में दुनिया के दूसरे देशों की पहचान वहां के राज्यों और राज-कुलों से होती थी, तब भारत को भारतभूमि के गुरुकुलों से पहचाना जाता था। खोज और शोध भारत की जीवन पद्धति का हिस्सा थे। नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय हमारी गुरुकुल परंपरा के वैश्विक वैभव के पर्याय हुआ करते थे।”
आधुनिक भारत को आगे बढ़ाने के लिए ‘कन्या गुरुकुल’ की शुरुआत- PM Narendra Modi
प्रधानमंत्री ने कहा, “जब विश्व में लैंगिक समानता जैसे शब्दों का जन्म भी नहीं हुआ था उस समय हमारे यहां गार्गी और मैत्रेयी जैसी विदुषियां शास्त्रार्थ कर रही थीं। महृषि वाल्मीकि के आश्रम में आत्रेयी भी पढ़ रही थीं। मुझे खुशी है कि स्वामीनारायण गुरुकुल इस पुरातन परंपरा को, आधुनिक भारत को आगे बढ़ाने के लिए ‘कन्या गुरुकुल’ की शुरुआत कर रहा है। मैं इसके लिए आप सभी को अपनी शुभकामनाएं देता हूं।”