भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को आज सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सर्वोच्च अदालत की 2 सदस्यीय पीठ ने 2017 में अदालत की अवमानना मामले में उसकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज कर दी है। उसने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए अपने बच्चों के नाम 4 करोड़ अमेरिकी डॉलर ट्रान्सफर कर दिए थे।

 इस मामले में माल्या को मई 2017 में अवमानना मामले का दोषी ठहरा दिया गया था। शीर्ष अदालत ने 2017 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह की याचिका पर यह फैसला सुनाया था। जिसमें कहा गया था कि माल्या ने कथित रूप से विभिन्न न्यायिक आदेशों का ”खुलेआम उल्लंघन” कर ब्रिटिश कंपनी डियाजियो से प्राप्त चार करोड़ अमेरिकी डॉलर अपने बच्चों के खातों में हस्तांतरित किये थे। इसके बाद उसने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। जिसपर बीते 27 अगस्त को जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

उन्होंने अर्जी ख़ारिज करते हुए कहा था कि हमें कोई मेरिट नहीं मिली है। इसलिए यह अपील ख़ारिज की जाती है। उस समय अदालत ने यह भी कहा था कि माल्या पर 2 बड़े आरोप हैं। पहला आरोप था की उसने अपनी संपत्ति का सही तरीके से खुलासा नहीं किया और दूसरा उसने अपनी संपत्ति को गलत तरीके से छिपाने की कोशिश की।

विजय माल्या स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ 9000 करोड़ रूपये का एक बड़ा लोन फ्रॉड कर चुका है। इसी मामले में गिरफ़्तारी से बचने के लिए फिलहाल वह फरार है। वह 2016 से लन्दन में रह रहा है। भारत सरकार उसके प्रत्यर्पण की लगातार कोशिश कर रही है।

इस मामले में अदालत ने अपनी रजिस्ट्री को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि यह बताया जाये कि बीते तीन सालों में माल्या की पुनर्विचार याचिका को अदालत के समक्ष सूचीबद्ध क्यों नहीं किया गया। साथ ही उन अधिकारियों के नाम भी मांगे हैं जो फाइलें देखने का काम करते थे।