तेलंगाना में पोलियो का मामला सामने आने के कुछ ही दिनों बाद उत्तर प्रदेश में पोलियो के संदिग्ध मामले का पता लगा है। इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जांच शुरू कर दी और यह कहकर डर को दूर करने की कोशिश की कि 2011 के बाद पोलियो का देश में कोई भी मामला सामने नहीं आया है। पोलियो के संदिग्ध मामले का पता उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में चला है। इसके बाद राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने डब्ल्यूएचओ को एक रिपोर्ट भेजी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार (17 जून) को कहा कि वह हर साल हजारों मामलों की जांच करती है और उनमें से कोई पोलियो का मामला नहीं पाया गया है और इस खास मामले में बच्चे की जांच की गई है और उसे निगरानी में रखा गया है। जिला अस्पताल अधीक्षक एस आई जैदी ने कहा, ‘गैसड़ी के पडरौना गांव के छह साल के बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां चिकित्सकों को संदेह है कि वह पोलियो से ग्रस्त है। आगे की जांच की जा रही है।’ उन्होंने कहा, ‘हम उसकी जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। डब्ल्यूएचओ को इसके बारे में सूचित कर दिया गया है।’
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इंडिया के कंट्री कार्यालय से जब बलरामपुर में पोलियो के संदिग्ध मामले के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘बलरामपुर में वीडीपीवी का कोई मामला नहीं है, जैसा कि मीडिया के एक हिस्से में रिपोर्ट किया जा रहा है।’ स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि बच्चा अब भी निगरानी में है और जांच रिपोर्ट प्रयोगशाला को भेजी गई है और दो-तीन सप्ताह के भीतर नतीजे आने की संभावना है। प्रारंभिक जांच के अनुसार यह पाया गया है कि बच्चे को पोलियो टीके की 20 खुराक दी गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि एक्यूट फ्लेसिड पैरालिसिस (एएफपी) की तकरीबन 55000 जांच हर साल की जाती है और उनमें से सब गैर पोलियो एएफपी का मामला निकला है। स्वास्थ्य मंत्रालय में उपायुक्त (टीकाकरण) प्रदीप हलदर ने कहा, ‘देश में सभी एएफपी मामलों की जांच की जाती है। यह मानक प्रोटोकॉल है जिसका मंत्रालय पालन कर रहा है। बलरामपुर उन मामलों में से एक है, जिसकी जांच की जा रही है।’
उन्होंने कहा, ‘13 जनवरी 2011 से हम हर साल 45 हजार से 50 हजार एएफपी मामले पाते हैं। उनमें से सारे गैर पोलियो एएफपी निकले हैं। 2011 से पोलियो का एक भी मामला नहीं सामने आया है।’ उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री एस पी यादव ने कहा कि मामले को गंभीरता से लिया गया है और चिकित्सकों के एक दल को इसकी जांच करने को कहा गया है। बलरामपुर का मामला तेलंगाना में हैदराबाद में एक स्थान से लिए गए सीवेज नमूने में वीपीडीवी श्रेणी 2 के मामले का पता चलने के कुछ ही दिनों बाद सामने आया है।