बुधवार को मोदी सरकार ने मुफ्त राशन स्कीम को मार्च 2022 तक बढ़ाने का ऐलान किया है। सरकार का दावा है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से देशभर में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज मिल रहा है। खुद पीएम मोदी भी कई मौकों पर ये बात दोहरा चुके हैं। अब सरकार के इस आंकड़े को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

दावों पर सवाल- अब जब सरकार ने मुफ्त अनाज योजना को फिर से बढ़ाने की घोषणा कर दी है, तो बीजेपी की तरफ से फिर से 80 करोड़ लोगों को लाभ मिलने का दावा किया जा रहा है। ऐसे में लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब देश की कुल आबादी ही 130 करोड़ है, तो उसमें से 80 करोड़ लोग गरीब कहां से आ गए? अगर 80 करोड़ लोग गरीब हैं तो फिर सरकार जिस विकास के दावे करती रही है, वो कहां है? योजना के नाम और सरकार के दावे बताते हैं कि ये योजना गरीबों के लिए है। इसका मतलब साफ है कि ये 80 करोड़ लोग गरीब हैं और अगर ये गरीब नहीं है तो फिर इन्हें योजना का लाभ कैसे मिल रहा है? सरकार के इस आंकड़े पर एक बार फिर से नई बहस छिड़ गई है।

सरकार के इस दावे को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोग तंज कस रहे हैं। गृहमंत्री अमित शाह के ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए राजेन्द्र (@Enraged_Indian) नाम के ट्विटर यूजर ने कहा- “अर्थव्यवस्था में लगातार सुधार के बावजूद आज 80 करोड़ लोग भुखमरी के शिकार हैं। यह पिछले सात वर्षों के घोर कुशासन का परिणाम है”।

ट्विटर यूजर अब्दुल्ला (@ABDULLAHKHANAMU) ने मोदी सरकार के विकास के दावों पर तंज कसते हुए लिखा- “80 करोड़ लोगों को हर दिन खाना….मतलब गरीबी 60 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गयी भारत में”।

क्या कहते हैं आंकड़े- भारत सरकार की ओर ने गरीबी को लेकर नए आंकड़े उपलब्ध नहीं है। गरीबी के आंकड़ों को देखें तो 2011 की जनगणना के अनुसार देश की करीब 22 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे थी। गरीबी मापने के लिए देश में कई पैमाने हैं और ये काम हमेशा विवादित रहा है। 2014 में सरकार ने ग्रामीण इलाकों के लिए 32 रुपये प्रतिदिन और शहरों के लिए 47 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से गरीबी रेखा तय की थी। गराबी मापने के तेंदुलकर फॉर्म्युले के अनुसार देश की 22 फीसदी आबादी गरीब थी।

वैश्विक आंकड़े- विश्व बैंक के अनुसार, भारत में गरीबी दर वित्त वर्ष 2022 में कम हो जाएगी, लेकिन फिर भी 10 प्रतिशत के स्तर के करीब रहेगी। अनुमान है कि गरीबी दर वित्त वर्ष 2022 में सात प्रतिशत से दस प्रतिशत तक कम हो जाएगी।

हाल के वर्षों में, भारत, गरीबों में कमी की उच्चतम दर वाले देश के रूप में उभरा है। 2019 में, ग्लोबल मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स ने बताया कि भारत ने 2006 और 2016 के बीच 271 मिलियन नागरिकों को गरीबी से बाहर निकाला था। भारत ने 2011 के बाद से अपने गरीबों की गिनती नहीं की है। लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने 2019 में देश में गरीबों की संख्या 364 मिलियन यानि कि 36 करोड़ 40 लाख या आबादी का 28 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया था।

अब अगर इन आंकड़ों को देखें तो देश में गरीबों की संख्या सरकार के 80 करोड़ वाले दावे से बहुत कम है। इसीलिए लोग सरकार के इस दावे पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।