पिछले कुछ सालों से भारत और फ्रांस के बीच द्विपक्षीय सहयोग काफी बढ़ रहा है। दोनों देशों के बीच यह सहयोग अंतरिक्ष से लेकर रक्षा और समुद्री सुरक्षा से लेक साइबर क्षेत्र में भी देखने को मिल रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) शुक्र ग्रह पर जाना जाना चाहता है। इसरो इसके लिए एक मानव मिशन की योजना बना रहा है।
इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार फ्रांस इस योजना में भारत का भागीदार है। समुद्री सुरक्षा की बात करें तो इसे बढ़ाने को लेकर भारत और फ्रांस के बीच 12 उपग्रह भेजने को लेकर द्विपक्षीय करार हो चुके हैं। इतना ही नहीं फ्रांस ने भारत के साथ अपने नौसेना बेस साझा करने पर भी सहमति व्यक्त की है। दोनों देशों की बीच सामरिक साझेदारी करीब दो दशक पुरानी है।
हिंद-प्रशांत नीति को लेकर भी भारत और फ्रांस एक राय रखते हैं। इतना ही नहीं फ्रांस पहला ऐसा देश है जिसके साथ भारत ने न्यू जेनरेशन सिविल न्यूक्लियर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों देशों के बीच डिजिटल तकनीक के साथ ही साइबर सुरक्षा क्षेत्र में भी सहयोग हो रहा है। इसका उद्देश्य विशेषकर उच्च प्रदर्शन युक्त कंप्यूटिंग एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के रणनीतिक क्षेत्रों में भारत-फ्रांस द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाना है।
भारत और फ्रांस ने उन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सहायक चिकित्सा कर्मियों को प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है, जो वर्ष 2022 तक भारत के मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन का हिस्सा होंगे। यह प्रशिक्षण फ्रांस के साथ-साथ भारत में भी दिया जाएगा। इन सब को देखकर ऐसा लगता है कि रक्षा के क्षेत्र में फ्रांस धीरे-धीरे रूस का स्थान ले रहा है। वहीं, भारत रूस के हथियारों की जगह उसके साथ ऊर्जा क्षेत्र में अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है।
वहीं रक्षा क्षेत्र में अमेरिका के अलावा फ्रांस के साथ भारत की हिस्सेदारी बढ़ रही है। राफेल के अतिरिक्त भारत और फ्रांस संयुक्त रूप से जेट का इंजन विकसित करने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। फ्रांस के साथ रक्षा सहयोग बढ़ने के पीछे हथियारों की क्वालिटी के साथ कीमत भी एक प्रमुख कारण है।
फ्रांस भारतीय नौसेना के लिए स्कॉर्पियन पनडुब्बियों का भी निर्माण कर रहा है। एक्सपर्ट भी इस बात को मानते हैं कि यदि भारत को डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में आगे बढ़ना है तो मौजूदा समय में फ्रांस से बेहतर सहयोगी अभी दूसरा दिखाई नहीं देता है।
जलवायु परिवर्तन एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें फ्रांस अपने आप में अगुआ देश बना हुआ है। इस क्षेत्र में भी भारत फ्रांस के साथ एचएफसी पॉल्यूशन, स्वच्छ समुद्री परिवहन और अन्य जलवायु संबंधी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मिलकर काम कर रहा है। भारत की तरफ से इंटरनेशल सोलर अलायंस जैसी वैश्विक पहल की गई है।
इतना ही नहीं फ्रांस भारतीय पर्यटकों और छात्रों के लिए भी नई पहल कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार भारत से साल 2018 में करीब 8 लाख पर्यटक फ्रांस गए थे। आतंकवाद के मुद्दे पर रूस के साथ ही फ्रांस भी भारत के पक्ष का पुरजोर समर्थन करता है।