UN Security Council: सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में दिए एक बयान में बताया कि यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्यों में से चार ने स्थायी सीट के लिए भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किया है। चीन एकमात्र ऐसा देश है जिसने अभी तक यूएनएससी का सदस्य बनने के लिए भारत के प्रयासों का समर्थन नहीं किया है और वह इसके रास्ते में रोड़ा बना हुआ है।
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने यूएनएससी में स्थायी सदस्यता को लेकर भारत के दावे की जानकारी दी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यूएनएनसी के 5 में से 4 स्थायी सदस्य देश द्विपक्षीय वार्ताओं में भारत को स्थायी सदस्य बनाए जाने के दावे का समर्थन देने की बात कह चुके हैं। उन्होंने कहा कि चीन इकलौता ऐसा देश है जो भारत के यूएनएससी का स्थायी सदस्य बनाए जाने के खिलाफ है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने विस्तारित यूएनएससी में भारत के लिए स्थायी सदस्यता हासिल करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में सरकार ने भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने के उद्देश्य से कई पहल की हैं। सभी स्तरों पर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकों के दौरान इस मामले को लगातार उठाया जाता रहा है।
उन्होंने पिछले साल चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की टिप्पणियों का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया, चीनी प्रवक्ता ने कहा था कि चीन यूएनएससी रिफॉर्म का समर्थन इस मायने में करता है कि काउंसिल के अधिकार और प्रभावकारिता को बढ़ावा मिले, इसके साथ ही विकासशील देशों की आवाज को प्रतिनिधित्व मिले ताकि छोटे और मध्यम आकार के देशों को भी निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेने का अधिक अवसर मिल सके।
यूएनएससी में हैं पांच स्थायी सदस्य
वर्तमान में, यूएनएससी में पांच स्थायी सदस्य और 10 अस्थाई सदस्य देश हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा दो साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है। पांच स्थायी सदस्यों में रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं और ये देश किसी भी प्रस्ताव पर वीटो का इस्तेमाल कर सकते हैं।