जम्मू कश्मीर प्रशासन ने चार सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। वजह बताई है कि यह लोग राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा थे। इन सरकारी कर्मचारियों को संविधान के आर्टिकल 311 (2) (सी) के तहत तुरंत प्रभाव से हटा दिया गया है।

संविधान का यह आर्टिकल किसी सरकारी कर्मचारी को बिना जांच के बर्खास्त करने की इजाज़त देता है। इससे पहले भी कुछ सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त किया जा चुका है।

कौन हैं बर्खास्त किए गए लोग?

एक ताजा आदेश में प्रशासन ने हंदवाड़ा के सीनियर ग्रेड कांस्टेबल मुश्ताक अहमद पीर, दक्षिण कश्मीर के त्राल के गमराज गांव के पुलिस कांस्टेबल इम्तियाज अहमद लोन, उत्तर कश्मीर के कुपवाड़ा के लालपोरा के खुरहामा गांव के शिक्षा विभाग के जूनियर सहायक बाजिल अहमद मीर और उत्तर कश्मीर के बारामूला जिले के उरी के बसग्रान गांव के ग्रामीण विकास विभाग के ग्राम स्तरीय कार्यकर्ता मोहम्मद जैद शाह को बर्खास्त कर दिया है।

मुश्ताक अहमद पीर को बर्खास्त करने वाले आदेश में लिखा गया है, “उपराज्यपाल ने मामले के तथ्यों और हालात पर विचार करने के बाद और मौजूदा जानकारी के आधार पर श्री मुश्ताक अहमद पीर जो पुलिस विभाग में वरिष्ठ ग्रेड कांस्टेबल हैं। उनकी गतिविधियां ऐसी हैं कि उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाना चाहिए।”

64 सरकारी कर्मचारियों को अबतक किया जा चुका है बर्खास्त

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले चार सालों में जम्मू-कश्मीर में इस तरह की बर्खास्तगी की कुल संख्या 64 सरकारी कर्मचारियों तक पहुंच गई है। घाटी में मौजूद राजनीतिक दल इस तरह के कदमों की तीखी आलोचना करते रहे हैं।

बर्खास्तगी का यह ताजा मामला सरकार द्वारा चार सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त करने के आदेश के डेढ़ महीने बाद सामने आया है। 8 जून को सरकार ने दो पुलिसकर्मियों, जल शक्ति विभाग के एक सहायक लाइनमैन और एक रहबर-ए-तालीम (आरईटी) शिक्षक की सेवाएं समाप्त कर दी थीं।