अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डाक्टरों के समझाने और परिवार की इच्छाशक्ति से चार मरीजों को नया जीवन मिला। रविवार को एम्स में एक मृतक के परिजनों ने अंगदान करने का फैसला किया। यह अंग एम्स और लोहिया अस्पताल में मरीजों को लगाए गए। हृदय एक 16 वर्षीय बच्चे में लगाया गया है।
32 साल के संदीप को सड़क किनारे घायल अवस्था में पाया गया था। एम्स के चिकित्सकों ने बताया कि अस्पताल में लाए जाने पर पाया गया कि युवक की दिमागी तौर पर मौत हो चुकी है। उनके परिजनों को उसक ी सूचना दी गई। पहले परिजन अंगदान के लिए राजी नहीं थे लेकिन उनकी एक घंटे तक क ाउंसलिंग करने के बाद वे तैयार हो गए।
एम्स न्यूरोसर्जरी विभाग के चिकित्सक दीपक गुप्ता ने बताया कि घायल संदीप को पारस अस्पताल से यहां एम्स ट्रामा सेंटर लाया गया था। इसके बाद संदीप के दिल को एम्स के कार्डियो सर्जरी में 16 साल के बच्चे में प्रत्यारोपित किया गया। एम्स के डा मिलिंद होते ने बताया कि अगर बच्चे को संदीप का हृदय न लगाया गया होता तो उसका जीवन सिर्फ एक साल ही शेष था।
संदीप का लिवर एम्स की ही नर्स के पति में प्रत्यारोपित किया गया। एक गुर्दे को एम्स के ही एक गुर्दा रोगी में लगाया गया, जबकि दूसरे गुर्दे को राममनेहर लोहिया अस्पताल में पंजीकृत मरीज को दिया गया। डा दीपक ने बताया कि संदीप के अंगों से चार मरीजों को जीवनदान मिला।
यह अंग न मिलते तो उन मरीजों की कुछ ही सालों में मौत निश्चित थी। संदीप के भाई नीरज व प्रवीण के मुताबिक उनके भाई संदीप टैटडी नामक ऐप आधारित ड्राइविंग सेवा में काम करता था। शुक्रवार को वह दुर्घटना का शिकार हो गया। पारस अस्पताल में इलाज के लिए तीन लाख रुपए मांगने पर एम्स लाया गया।