बदमाशों के उत्पीड़न से अपनी महिला सहयोगियों को बचाने की कोशिश में मुंबई के दो युवकों कीनेन और रुबेन की हत्या होने के पांच साल बाद यहां की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को चार अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई। विशेष महिला अदालत की न्यायाधीश वृशाली जोशी ने कहा कि आरोपी अपनी बाकी उम्र के लिए सलाखों के पीछे रहेंगे।
उन्होंने जितेंद्र राणा, सुनील बोध, सतीश दलहाज और दीपक तिवाल को हत्या, महिला का शील भंग करने और भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं के तहत आरोपों में दोषी ठहराया। इस मामले से आक्रोश फैल गया था और सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बहस छिड़ गई थी।
कीनेन संतोष (24) और रुबेन फर्नांडीज (29) को 20 अक्तूबर, 2011 को उपनगरीय अंधेरी के अंबोली इलाके में झगड़े के बाद छेड़खानी करने वालों ने चाकू गोद कर मार डाला था। इन दोनों ने एक भोजनालय के बाहर जब अपनी महिला सहयोगियों को कुछ व्यक्तियों से बचाने की कोशिश की थी तब उन पर हमला किया गया था, ये लोग इन महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार कर रहे थे। ये लोग पहले वहां से चले गए थे और बाद में दस से अधिक साथियों के साथ लौटे थे और सभी के सामने कीनेन और रुबेन पर नृशंस वार किया था। कीनेन के पिता वालेरियन संतोष ने यह कहते हुए इस फैसले का स्वागत किया कि यह सभी के लिए जीत है लेकिन उन्होंने इंसाफ मिलने में देरी पर अफसोस जाहिर किया।
ऐसे विलंब पर प्रधान न्यायाधीश के भावुक होने के प्रकरण को याद करते हुए कहा, ‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि अपराधी को पकड़ कर तुरंत फांसी पर चढ़ा दिया जाए। मैं बस यह कह रहा हूं कि न्यायिक प्रणाली में तेजी लाई जाए।’विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने कहा कि इस मामले में अभियोजन के सारे आरोप साबित हुए। निकम ने कहा, ‘इस बात का प्रत्यक्ष सबूत है कि जब इन दोनों ने लड़कियों को बचाने की कोशिश की थी तब आरोपी उनसे छेड़खानी कर रहे थे। यह पूर्व नियोजित हत्या थी और आरोपियों ने उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी थी और वे उन पर हमला करने के लिए लौट कर आए थे।’
उन्होंने कहा कि इस मामले में सफलता का श्रेय उत्पीड़न की पीड़िताओं को जाता है। उन्होंने कहा, ‘इन दो लड़कियों की गवाही ने हमारे मामले को मजबूती दी और उनकी गवाही विस्तृत थी।’वैसे उन्होंने आरोपियों के लिए मृत्युदंड पर जोर नहीं डाला क्योंकि उनके खिलाफ साजिश का आरोप साबित नहीं हुआ और यह मामला दुर्लभतम मामले की श्रेणी में नहीं आता है।
इस फैसले पर शांतचित्त वालेरियन ने कहा, ‘आज बस इतना कह सकता हूं कि यह फैसला सभी की जीत है। यह जीत मेरी नहीं है, यह कीनेन और रुईबेन की जीत है जिन्हें मैं उपहार के रूप में ये जीत देने की आस करता रहा हूं। कीनेन का जन्मदिन मार्च में निकल गया और मैंने उसे यह उपहार देने की आस पाली थी।’
उन्होंने कहा, ‘मैं खुश हूं कि अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा दी है। मैं इस बात को लेकर भी खुश हूं कि छेड़खानी की धारा का भी इस्तेमाल हुआ।’ कीनेन ने उसी दिन दम तोड़ दिया था जबकि रुईबेन दस दिन बाद मर गया था। पुलिस ने इस घटना के एक दिन बार सभी चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था। अक्तूबर, 2012 को अदालत ने आरोपियों के खिलाफ हत्या, साजिश और छेड़खानी के आरोप तय किए थे। सुनवाई के दौरान अभियोजन ने 245 गवाहों का परीक्षण किया। इस घटना को लेकर शहर में बहुत आक्रोश फैला था क्योंकि युवकों पर सभी के सामने नृशंस हमला किया गया था और वहां खड़े लोगों और होटल कर्मचारियों ने उनकी कोई मदद नहीं की।