अनामिका सिंह
इस दौरान एएसआइ को कई महत्त्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं, जिनमें सबसे बड़ा साक्ष्य किलेबंदी का मिलना बताया जा रहा है और दूसरा बड़ी मात्रा में चित्रित धूसर मृदभांड (पीजीडब्लू) प्राप्त होना है। दरअसल पीजीडब्लू को पुरातत्वविद् महाभारतकालीन बताते हैं।
पुरातात्विक स्थल से अरावली पर्वतमाला की दूरी लगभग 45 किलोमीटर व यमुना नदी की दूरी करीब बीस किलोमीटर है। इस टीले के बिल्कुल नजदीक से एक नाला गुजरता है जो यमुना नदी से मिलता है। जिसके नजदीक ही एक एक गुप्तकालीन ‘वोटिव टैंक’ (छोटा जलसंचय का टैंक) जिस पर सर्प कछुआ एवं अन्य सरीसृप उकेरित है, मिला है। जो बेहद महत्त्वपूर्ण खोज है।
खुदाई स्थल से शंख की चूडियां व टेराकोटा जानवरों की मूर्तियां और चार ग्राम सोने का पत्तरा भी उत्खनन में मिला है। एक ही स्थान पर बड़ी संख्या में जानवरों की हड्डियां भी मिली हैं, ऐसा प्रतीत होता है कि पालतू जानवरों को एक निश्चित स्थान पर दफनाया जाता था।
जली हुई मिट्टी के अवशेष
चित्रित धूसर मृदुभांड से संबंधित एक विशिष्ट भूखंड यहां मिला है जो 20 मीटर लंबा एवं 1 मीटर चौड़ा है। यह भूखंड लगभग 2 मीटर गहरा है। यहां मिल रहे अवशेषों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि यहां कोई अनुष्ठान होता रहा होगा क्योंकि इस स्थान की मिट्टी जली हुई है और कई प्रकार की सामग्रियां भी प्राप्त हुई हैं।
पुरातत्वविद इसे शवदाह स्थल या अनुष्ठान स्थल के रूप में भी देख रहे हैं। यहां से बड़ी संख्या में जली हुई हड्डियां, दो जले मानवीय जबड़े, एक मानव खोपड़ी व कई पात्र मिले हैं। मानव शवदाह क्रिया का प्रमाण पीजीडब्लू काल अथवा दो हजार ईसा पूर्व तक पहुंच जाता है।
अभी तक किए गए चार सांस्कृतिक अनुक्रम चिह्नित
उत्खनन कार्य टीले के सभी दिशाओं एवं शीर्ष पर किया जा रहा है। यहां से अभी तक चार सांस्कृतिक अनुक्रम चिह्नित किए गए है। यहां शुंग अथवा कुषाण काल, गुप्ता काल व प्रारंभिक मध्य काल व सबसे निचले स्तर में चित्रित धूसर मृदभांड संस्कृति से संबंधित लगभग दो मीटर का निक्षेप है। यहां से करीब 660 किलोग्राम 94 किलोग्राम चित्रित धूसर मृदभांड पाए गए हैं।
शवदाह स्थल मिलना बड़ी खोज : गुंजन कुमार श्रीवास्तव
उत्खनन का नेतृत्व कर रहे एएसआइ के अधीक्षण पुरातत्वविद गुंजन कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि उत्खनित स्थल से भारी मात्रा में पीजीडब्ल्यू मिली है। लेकिन सबसे बड़ी खोज शवदाह स्थल का मिलना है। इतिहास में पहली बार पानी को संरक्षित करने के लिए वाटर टैंक यहां मिलता है। तीसरी बड़ी उपलब्धि चित्रित धूसर मृदभांड पर सींग वाले जानवर जो मृग की तरह है उसका चित्रण है।