पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी की पत्नी सलमा अंसारी ने सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करते हुए चाचा नेहरु मदरसे में मंदिर और मस्जिद का निर्माण कराया है। सलमा अंसारी ने बताया कि यह देश का पहला मदरसा है, जिसके प्रांगण में मंदिर और मस्जिद दोनों होंगे। इतना ही नहीं सोमवार को मदरसा में बाकायदा मंदिर में पूजा हुई और मुस्लिम बच्चों ने नमाज पढ़ी। इसके चलते मदरसा में सांप्रदायिक सद्भाव का शानदार नमूना देखने को मिला। बता दें कि अलीगढ़ में स्थित चाचा नेहरु मदरसा का संचालन खुद सलमा अंसारी करती हैं। सलमा अंसारी ने बताया कि इससे यहां पढ़ने वाले छात्रों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
उन्होंने कहा कि छात्रावास में रहने वाले छात्रों की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है। जब वे मदरसे के बाहर किसी मस्जिद या मंदिर में जाते हैं और कोई अप्रिय घटना हो जाती है तो यह हमारी जिम्मेदारी होगी। इसलिए फैसला किया गया कि मदरसा के भीतर ही मंदिर और मस्जिद का निर्माण कराया जाए। उन्होंने कहा कि उन्हें कट्टरपंथियों की फिक्र नहीं है। हालांकि सलमा अंसारी के इस फैसले का कुछ लोग विरोध भी कर रहे हैं।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मुफ्ती जाहिद का कहना है कि अगर कोई मुसलमान है तो उसे सब खुदाओं को इंकार करना पड़ता है और सिर्फ अल्लाह का इकरार करना पड़ता है। बगैर इसके कोई मुसलमान नहीं हो सकता। कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी मदरसा में मंदिर बनाने के कदम का विरोध किया है।
वहीं अलीगढ़ के बरौली से भाजपा विधायक दलवीर सिंह ने सलमा अंसारी की तारीफ की है। दलवीर सिंह ने कहा कि जिस तरह से सलमा अंसारी ने बड़ा दिल रखते हुए उदाहरण पेश किया है, उसी तरह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को भी ऐसा काम करना चाहिए। अलीगढ़ की पूर्व मेयर शकुंतला भारती ने भी सलमा अंसारी के इस फैसले की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि इतना सुंदर विचार उनके मन में आया है, हम उनका समर्थन करते हैं। उन्होंने एक अच्छी भारतीय नागरिक होने का परिचय दिया है। हम उनकी इस भावना के साथ हैं, हम उनका हर तरीके से सहयोग करने के लिए तैयार हैं।