2जी घोटाला मामले से हाल ही में बरी हुए पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने पूर्व प्रधानमंत्री को एक जज्बाती पत्र लिखा है। उन्हें इस पत्र का जवाब भी मिला है। पत्र में ए. राजा ने अपनी निष्ठा और ईमारदारी की बात कही है। उन्होंने मनमोहन को उनके कार्यकाल के दौरान मजबूर भी माना है। एक राजा ने 26 दिसंबर को पूर्व पीएम को पत्र लिखा था। उन्होंने मनमोहन सिंह को उनके कार्यकाल के समय की मजबूरियों को याद दिलाते हुए अब खुलकर समर्थन मांगा है। पत्र में ए राजा ने लिखा- मैंने आज के ही दिन यूएएस लाइसेंस और 2जी स्पैक्ट्रम आवंटन को लेकर आपको चिट्ठी लिखी थी। हमारी राजनीतिक और निजी जिंदगी में क्या उतार-चढ़ाव आएंगे, इसकी हम में से किसी ने कल्पना नहीं की थी।
उन्होंने पत्र में बताया कि वे कुछ ताकतवर लोगों का शिकार हुए जिन्होंने दुष्प्रचार किया, मीडिया ने मामले को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया। इससे संसद और न्यायपालिका गुमराह हुई। यूपीए को हार मिली। मेरी जिंदगी के 7 साल बर्बाद हुए, 15 महीने जेल में भी बिताए। राजा ने लिखा- मैंने आपको कई बार विश्वास दिलाया कि मैं निर्दोष हूं और यह साबित कर दूंगा। उस वक्त मजबूरियों के चलते आप मेरा समर्थन नहीं कर पाए थे, लेकिन अब मैं दोषमुक्त हूं और आप मेरा खुलकर समर्थन कर सकते हैं। मुझे लगता है कि दूसरे कैबिनेट सहयोगियों की तरह मुझे भी आप विश्वासपात्र समझेंगे।
ए राजा के पत्र के जवाब में पूर्व प्रधानमंत्री ने 2 जनवरी को चिट्ठी लिखी। मनमोहन लिखा- ‘आपके खत के लिए धन्यवाद। मैं बहुत खुश हूं कि 2जी केस में आप निर्दोष करार दे दिए गए। इस दौरान आप और आपके परिवार को काफी दुख झेलना पड़ा, लेकिन सच्चाई सामने आने पर आपके परिवारवालों सभी दोस्तों को राहत मिली है। आपको और आपके परिवार को नए वर्ष की शुभकामनाएं।
Former Telecom minister A. Raja wrote to former PM Manmohan Singh saying, ‘I assured you that I had done nothing wrong but rather acted in national interest & that I’d prove this.’ Singh replied saying, ‘I’m very happy that you stand vindicated.’ #2GScamVerdict pic.twitter.com/E73IA2cnym
— ANI (@ANI) January 4, 2018
आपको बता दें कि 21 दिसंबर को 2जी घोटाला मामले में दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। विशेष न्यायाधीश ओ.पी. सैनी ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए.राजा और डीएमके सांसद कनिमोझी सहित सभी आरोपियों को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर दोनों मामलों में बरी कर दिया था। कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान 2008 में दूरसंचार विभाग द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस आवंटन में कथित तौर पर अनियमितता हुई थी, जिसका 2010 में कैग की रिपोर्ट के बाद व्यापक स्तर पर खुलासा हुआ था।