India Independence Day 2019: बात साल 1985 की है। आजादी की 38वीं वर्षगांठ थी और देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अपने संबोधन के शुरुआती पांच सात मिनट में अपने नाना और देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और पूर्व प्रधानमंत्री एवं अपनी मां इंदिरा गांधी के बारे में ही बात की थी। राजीव गांधी ने देश की तरक्की के रास्ते पर चलने और 38 वर्षों की उपलब्धियों के बारे में बात करते हुए कहा कि पंडित नेहरू और इंदिरा जी ने जो योजनाएं बनाईं, उससे देश आज विकासशील देशों की श्रेणी में सबसे आगे खड़ा है।

अपने भाषण की शुरुआत में राजीव ने कहा था, “देशवासियों, आज भारत की 38वीं वर्षगांठ है। मैं भारत के हर नागरिक को शुभकामनाएं देना चाहता हूं। हर गांव में, हर शहर में हमारे किसान, हमारे मजदूर, हमारी माताएं और बहनों को, भारत के बच्चों को, भारत की फौज को और हर हिन्दुस्तानी को जो विदेश रह रहे हैं। 38 साल हो गए हैं। इसी लाल किले से पहली बार पंडित नेहरू जी ने तिरंगा झंडा लहराया था। आज इंदिरा जी को यहां होना था लेकिन हमारे हाथ से वो छिन गईं। आपने मुझे ये जिम्मेवारी दी है। मैंने आजादी की लड़ाई नहीं देखी। मैं बहुत छोटा था। तीन साल का भी नहीं था, जब यहां पहली बार झंडा लहराया गया था और आज भारत की दो तिहाई आबादी ऐसी है जिन्हेंने मेरी तरह आजादी की लड़ाई नहीं देखी है।”

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तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने तब कहा था, “पिछले 38 साल में हमने बहुत तरक्की की है। इन सालों में हमने करीब 63 फीसदी आबादी को गरीबी रेखा से ऊपर उठा दिया है। इन सालों में एक नया मध्यम वर्ग भारत में पैदा हुआ है। अनाज में हम आत्मनिर्भर हुए हैं। हमारा विज्ञान, हमारी टेक्नोलॉजी, हमारी स्वाधीन विदेश नीति, हमारा लोकतंत्र और हमारी आजादी और हमारी धर्मनिरपेक्षता। ये सब बातें इस तरह से हम बना पाए हैं, बढ़ा पाए हैं कि पूरी दुनिया आश्चर्य से देखती है कि एक विकासशील देश कैसे इतनी तरक्की कर पाया है। और हमने ये किया है तीन-चार लड़ाइयों को लड़कर। हमने ऐसा कर दिखाया है क्योंकि इसका रास्ता गांधी जी, पंडित नेहरू जी और इंदिरा जी ने दिखाया है।”

राजीव गांधी ने जब देश की बागडोर संभाली थी तब उनकी उम्र मात्र 41 साल थी। जब वो लाल किले की प्राचीर की तरफ कदम बढ़ा रहे थे तो उनके पास इंदिरा के नाम के अलावा कुछ नहीं था। इंदिरा नेहरू की विरासत के भरोसे ही राजीव ने देश को आगे बढ़ाने की कोशिश की। उनके पीएम बनते ही देश में भयानक सूखा पड़ा था। मानसून ने दगा दे दिया था। तब राजीव ने देश के अलग-अलग इलाके का दौरा किया था। लाल किले से उनके भाषणों में हर साल गरीबों और बेरोजगारों के लिए कुछ न कुछ करने की चिंता साफ झलकती थी। 1987 में स्वतंत्रता दिवस पर ही उन्होंने लाल किले से कहा था कि देश के करोड़ों युवक काम ढूंढ़ नहीं पाते हैं।, रोजगार नहीं पाते हैं। इसलिए ढांचे की कमजोरी को दूर करते हुए उनके लिए काम करेंगे।

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अपने पहले ही भाषण में राजीव गांधी ने सत्ता की दलाली जैसे वाक्य का इस्तेमाल कर ये साफ संकेत दिया था कि उनकी सरकार में सत्ता संरक्षित दलाली नहीं चलेगी लेकिन संयोग ऐसा कि उनके ही सरकार के रक्षा मंत्री ने इसी दलाली के खिलाफ उनके खिलाफ विद्रोह कर दिया। तत्कालीन रक्षा मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने बोफोर्स तोप की खरीद में दलाली का मुद्दा उठाया था। इस वजह से उन्हें कैबिनेट से हटा दिया गया था। बाद में सिंह ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और जन मोर्चा के रास्ते बाद में जनता दल का गठन किया।