जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शहला रसीद ने गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवानी का बचाव किया है। दलित नेता जिग्नेश मेवानी ने गुजरात नतीजे के आने एक टीवी शो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बूढ़ा और बोरिंग बताया था और उन्हें राजनीति छोड़कर हिमालय चले जाने की सलाह दी थी। जिग्नेश के इस बयान पर शहला रसीद ने कहा कि एक बूढ़े आदमी को बूढ़ा कहने पर जिग्नेश की आलोचना की जा रही है। उन्हें घेरा जा रहा है। शहला रसीद ने ट्वीट किया, ‘उनलोगों ने उन्हें पाकिस्तानी कहा, ISIS समर्थक बताया, आतंकी, इस्लामिक कहा, अब एक बूढ़े आदमी को बूढ़ा कहने के लिए उनका ट्रायल किया जा रहा है, संघी मीडिया को शर्म आनी चाहिए जिसे सरकार को जिम्मेदार ठहराने का कूवत नही है, बल्कि ये मीडिया विपक्षी नेताओं को ही टारगेट कर रहा है, बल्कि उनका पीछा कर रहा है।’ शहला द्वारा मीडिया को संघी बताने का ट्विटर यूजर्स ने कड़ा विरोध किया है और अपनी प्रतिक्रिया दी है।
They called him Pakistani, ISIS supporter, terrorist, Islamist, etc. Now they’re putting him on trial for calling an old man old. Shame on Sanghi media who don’t have the courage to hold the government accountable, but are targeting, even stalking, opposition leaders! #Youthquake pic.twitter.com/QaSW5tu7hS
— Shehla Rashid (@Shehla_Rashid) December 21, 2017
अमृता देशमुख ने लिखा है तो क्या आप अब जिग्नेश का पीआर देखेंगी। अतुल गुप्ता ने लिखा, ‘ये बुढ़ापा JNU में सदियों से पढ़ रहे छात्रों पर क्यों नहीं आता।’ अभिषेक अग्निहोत्री ने राय दी, ‘तो पीएम के खिलाफ आप जिग्नेश के इन अभद्र शब्दों का समर्थन करती हैं।’ एक यूजर ने कहा कि मोदी को बुजुर्ग कहने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन ये हड्डियां गलाने का क्या मतलब है।’ सोनू झा ने लिखा, ‘जिनके हड्डियों में दम होता है वो आरक्षण के लिए नहीं रोते आतंकवादियों का साथ देने वाला आतंकवादी ही होता है। अनंत पुरोहित ने लिखा, ‘ये यूथक्वेक नहीं है।’ एक शख्स ने कहा है कि जिसे आप संघी मीडिया कह रही हैं वही संघी मीडिया आपकी भी स्टोरी कवर करता है।’ एक यूजर ने कहा है कि यही बयान आप अपने घर के बुजुर्गों के लिए दीजिए, फिर उनकी प्रतिक्रिया देख लीजिए।’
जिनके हड्डियों में दम होता है वो आरक्षण के लिए नहीं रोते आतंकवादियों का साथ देने वाला आतंकवादी ही होता है
जिग्नेश दलित आतंकवादी है @jigneshmevani80— Sonu Jha (@Sonujhagkp) December 21, 2017
Okay no problem in calling an old man old but how can you defend “Haddiya Galane” What does it mean? Do you have same opinion for ur parents also?
— HSR (@hemantrautela) December 22, 2017
So you will manage the PR of Jignesh henceforth…
— Amrita Deshmukh (@ARajedeshmukh) December 21, 2017
It’s not #youthquake, it is only “youth only do quak quak”
— Anant Purohit (@Anant_mech_engr) December 21, 2017
Same Sanghi media covers your story also..!!#sickpeople
— Hitman Sharma (@KalamKaSipaahi) December 21, 2017
Try calling your Dad, teachers old fellas, check their reaction. Democracy koi Mallappa ki kheer nahi, jo mu mei aaya wo bakk diye..
— Aditya Kale (@kaleAadi) December 22, 2017