सुप्रीम कोर्ट में तैनात किए गए दो जूनियर जजों को लेकर विरोध के सुर तेज होते जा रहे हैं। अब पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया आरएम लोढ़ा ने वरिष्ठ जजों की अनदेखी करने की आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि अब कॉलेजियम ट्रांसपैरेंट होना चाहिए। सभी को पता चलना चाहिए कि फैसला आखिर क्यों लिया गया। कॉलेजियम एक संस्थान की तरह काम करता है। यहां किसी एक का फैसला नहीं होता। किसी जूनियर जज को सुप्रीम कोर्ट में तैनाती दे दी गई, यह सच में चौंकाने वाला है’।

न्यायमूर्ति लोढा ने भाषा से कहा, ‘‘चिंता बरकरार है। बल्कि, इस कवायद (हालिया सिफारिश) से यह बढ़ती प्रतीत होती है। मैं नहीं मानता कि कोई बदलाव है। कम से कम लोगों को नहीं दिख रहा है। इसने इस उद्देश्य की पूर्ति नहीं की है क्योंकि हमने वो बदलाव नहीं देखे हैं, जिसके लिये संवाददाता सम्मेलन किया गया था।’’

केंद्र सरकार ने कई न्यायाधीशों की वरिष्ठता की अनदेखी को लेकर पैदा हुए विवाद को नजरअंदाज करते हुए बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजीव खन्ना की उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति कर दी है। एक सरकारी अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोंविंद ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी की भी शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की।

इन दो नियुक्तियों से शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की संख्या 28 हो गयी है। अब भी न्यायालय में तीन रिक्तियां हैं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाले पांच सदस्यीय उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने गत 11 जनवरी को न्यायमूर्ति माहेश्वरी और न्यायमूर्ति खन्ना को शीर्ष अदालत में पदोन्नत करने की सिफारिश की थी।

न्यायमूर्ति खन्ना की नियुक्ति ऐसे दिन में की गई है जब उन्हें पदोन्नत करने की कॉलेजियम की सिफारिश के खिलाफ विरोध के स्वर और प्रबल हो गए। बार काउन्सिल ऑफ इंडिया ने इसे ‘मनमाना’बताते हुए कहा कि इससे वैसे न्यायाधीश अपमानित महसूस करेंगे और उनका मनोबल गिरेगा जिनकी वरिष्ठता की अनदेखी की गई है।

उच्चतम न्यायालय के एक वर्तमान न्यायाधीश संजय किशन कौल ने सीजेआई और कॉलेजियम के अन्य सदस्यों–न्यायमूर्ति ए के सीकरी, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे , न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा को पत्र लिखकर राजस्थान और दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों क्रमश: प्रदीप नंदराजोग और राजेंद्र मेनन की वरिष्ठता की अनदेखी किये जाने का मुद्दा उठाया है।