भारत के निवर्तमान चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कामकाज के अंतिम दिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के दुरुपयोग पर चिंता जताई। दरअसल, जस्टिस बोबडे शुक्रवार को रिटायर हो गए। उन्होंने अपनी विदाई के लिए आयोजित वर्चुअल समारोह को संबोधित करने के अलावा अंतिम दिन कुछ अखबारों को इंटरव्यू भी दिए। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के दुरुपयोग की बात उन्होंने एक साक्षात्कार में कही। उन्होंने अपनी बात को विस्तार नहीं दिया। इस बिंदु पर वे विदाई समारोह में भी नहीं बोले। हालांकि, सोशल मीडिया पर उन्होंने जरूर टिप्पणी की।
विदाई समारोह में उन्होंने अपने काम पर संतुष्टि जताई। जस्टिस बोबडे ने कहा, “मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है।” वे अपने पद पर 17 महीने रहे। इस दौरान उनकी अगुवाई में गठित पीठ ने 90 फैसले सुनाए। कहा जाता रहा है कि उनके कार्यकाल के दौरान सरकार के विरोध में अदालत ने अपना स्वर नियंत्रित रखा।
चीफ जस्टिस ने जजों और वकीलों की कई हर बात के मीडिया में उछलने को उचित नहीं माना। उन्होंने कहा कि सुनवाई के दौरान जज और वकील दोनों ऐसी बातें बोलते हैं जिनका मकसद Exploaratory होता है कि नए तथ्य सामने आएं। न्यायमूर्ति ने कहा कि सोशल मीडिया में जजों के प्रति अपमानजनक बातें कहना गलत है। सोशल मीडिया का स्तर प्रिंट मीडिया के बराबर ही होना चाहिए।
विदाई भाषण में उन्होंने जज के रूप में 21 साल तक सेवा करने पर संतोष जताया। उच्चतम न्यायालय के अनुभव, साथी जजों के साथ सौहार्द से काम करने जैसी बातों और कोरोना काल में डिजिटल सुनवाइयों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि डिजिटल सुनवाई में कुछ असुविधाएं हैं लेकिन वे दूर की जा सकती हैं।
ऐतिहासिक अयोध्या मामले का जिक्र करते हुए एक सवाल पर चीफ जस्टिस ने कहा कि यह शायद बेंच के सामने आया सबसे बड़ा केस था। संविधान पीठ हफ्ते में पांच दिन लगातार सुनवाई करती रही। कुल मिलाकर सुनवाई 40 दिन चली। मामले में कई हजार दस्तावेज देखे गए। फारसी, उर्दू और संस्कृत के इन दस्तावेजों का अनुवाद कराया गया था।
विदाई समारोह में महान्यायवादी केके वेणुगोपाल सीजेआइ का कार्यकाल तीन साल होने की पैरवी की तो महाधिवक्ता तुषार मेहता ने जस्टिस बोबडे के हास्यबोध का जिक्र कर माहौल हल्का-फुल्का कर दिया। वेणुगोपाल ने डिजिटल सुनवाई के लिए निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उल्लेखनीय है कि डिजिटल सुनवाई के जरिए 50 हजार मामलों का निस्तारण किया गया। कोरोना काल में यह एक बड़ी उपलब्धि रही।