प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं पर पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने तंज कसा है। यशवंत सिन्हा ने उपचुनावों में बीजेपी के खराब परफॉर्मेंस और पीएम की विदेश यात्रा को एक साथ रखा है। कुछ ही महीने पहले बीजेपी छोड़ने वाले यशवंत सिन्हा ने कहा कि मोदी अगर कैराना हार गये तो क्या हुआ, वह इंडोनेशिया और मलेशिया तो जीत रहे हैं। उपचुनाव नतीजों के यशवंत सिन्हा ने ट्वीट किया, “तो क्या हुआ अगर मोदी कैराना हार गये, वो इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर में जीत रहे हैं।” बता दें कि पीएम मोदी इस वक्त इन तीन देशों की यात्रा पर है। यहां पर तीनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने गर्मजोशी से पीएम मोदी का स्वागत किया है। पीएम मोदी इंडोनेशिया में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित किया और भारत से उनके सांस्कृतिक जुड़ाव पर चर्चा की। 29 मई को पीएम ने इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता से अपने विदेशी दौरे की शुरूआत की थी। यहा से पीएम मलेशिया पहुंचे। इस वक्त प्रधानमंत्री मोदी सिंगापुर में है। वह 2 जून को अपने दौरे से वापस लौटेंगे।
What if Modi has lost Kairana etc. He is winning in Indonesia, Malaysia and Singapore.
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) May 31, 2018
31 मई को जब पीएम मलेशिया में थे तो उपचुनाव के नतीजे आए। बता दें कि उपचुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। 4 लोकसभा सीटों में बीजेपी अपने दमपर मात्र महाराष्ट्र की पालघर सीट ही हासिल कर पाई। महाराष्ट्र की भंडारा गोंदिया सीट पर एनसीपी ने कब्जा किया। नागालैंड की दीमापुर सीट पर हालांकि बीजेपी के सहयोगी को जीत मिली। पार्टी को सबसे करारा झटका उत्तर प्रदेश के कैराना में लगा। यहां सहानुभूति लहर के बावजूद पार्टी प्रत्याशी मृगांका सिंह चुनाव हार गईं। विधानसभा की 11 सीटों में से भी बीजेपी मात्र 1 सीट ही हासिल कर सकी।
इससे पहले यशवंत सिन्हा ने पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के लिए भी बीजेपी पर हमला बोला। यशवंत सिन्हा ने ट्वीट किया, ” जो लोग 7.7 प्रतिशत का जश्न मना रहे हैं, वो लोग पेट्रोल और डीजल की कीमतों का भी जश्न मना रहे हैं।” बता दें कि पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च) में जीडीपी की ग्रोथ दर 7.7 प्रतिशत रही है। बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के काल में देश के वित्त मंत्री रहने वाले यशवंत सिन्हा इन दिनों बीजेपी के प्रखर आलोचक हैं। कर्नाटक में बीजेपी की सरकार बनाने की भी यशवंत सिन्हा ने निंदा की थी और इसे असंवैधानिक बताया था। पार्टी के इस फैसले के खिलाफ यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति भवन के सामने धरने पर भी बैठे थे।