विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में किया है। जयशंकर ने आतंकवाद पर चीन को कड़ा रुख अपनाने को कहा। मंगलवार को SCO से आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से निपटने के अपने मूल लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहने का आग्रह किया। उन्होंने ऐसे खतरों पर अडिग रुख अपनाने का आह्वान किया।
तियानजिन में एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक थी और इसमें चीनी और पाकिस्तानी विदेश मंत्री भी मौजूद थे। जयशंकर ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले पर भारत की प्रतिक्रिया को सही ठहराया।
क्यों की गई थी SCO की स्थापना?
जयशंकर ने कहा, “एससीओ की स्थापना आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से निपटने के लिए की गई थी। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि ये तीनों अक्सर एक साथ सामने आते हैं। हाल ही में भारत में हमने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में इसका एक ज्वलंत उदाहरण देखा।”
चीन में जयशंकर लेकिन अभी भी रिश्तों को पटरी पर लाने में हैं कई अड़चनें
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़पों के बाद पहली बार चीन की यात्रा कर रहे जयशंकर ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (जिसके हममें से कुछ वर्तमान में सदस्य हैं) ने एक बयान जारी कर इसकी कड़े शब्दों में निंदा की। उसने आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों, आयोजकों, फाइनेंसरों और स्पॉन्सर को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर बल दिया। हमने तब से ठीक यही किया है और आगे भी करते रहेंगे।”
विदेश मंत्री ने कहा कि यह हमला जम्मू-कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को जानबूझकर कमज़ोर करने और धार्मिक विभाजन पैदा करने के लिए किया गया था। चीन के BRI पर कटाक्ष करते हुए चीन का सीधे तौर पर नाम लिए बिना जयशंकर ने बीजिंग के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का भी जिक्र किया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सहयोग में क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान होना चाहिए।
जयशंकर ने कहा, “यह आवश्यक है कि ऐसा सहयोग आपसी सम्मान, संप्रभु समानता और सदस्य देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के अनुरूप हो। आज दुनिया अधिक संघर्षों, प्रतिस्पर्धा और दबाव से जूझ रही है और उन्होंने वैश्विक व्यवस्था को स्थिर करने का आह्वान किया।”