विदेशी प्रवासी पक्षी अक्तूबर-नवंबर के महीने में उत्तराखंड में आते हैं और मार्च के आखिरी सप्ताह में अपने देशों को लौट जाते हैं। प्रवासी पक्षियों की यह यात्रा उत्तराखंड में कई वर्षों से हो रही है। भारतीय उपमहाद्वीप में शरद काल में शीत प्रदेशों से अनेक प्रकार के पक्षी शरद प्रवास के लिए आते हैं।

यह सर्वविदित है किंतु भारत में ही ग्रीष्म काल में भी कुछ पक्षी दक्षिणी भाग से उत्तर भारत की ओर खासकर उत्तराखंड और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रवास के लिए आते हैं और इन्हीं में से कुछ पक्षी उत्तराखंड में ग्रीष्म ऋतु में प्रजनन भी करते हैं। सबसे प्रचलित उदाहरण कोयल पक्षी का है जो बसंत में ही उत्तराखंड की ओर प्रवास पर आ जाती हैऔर कौवे के घोसले की तलाश कर चुपके से एक व्यूह रचना के तहत अपने अंडे कौवे के घोसले में दे देती है।

उत्तराखंड में ग्रीष्म ऋतु में प्रवास के लिए आने वाले पक्षियों में गोल्डन ओरिओल, चेस्टनट हैडेड बीटर कामेडक , एशियन पैराडाइज फ्लाइ केचर आदि शामिल हैं। ग्रीष्मकाल में दक्षिण भारत से उत्तराखंड में आने वाले पक्षियों की 12 प्रजातियां है और ये पक्षी जुलाई, अगस्त और सितंबर तक प्रजनन कार्य संपन्न करने के उपरांत अक्तूबर माह में दक्षिण भारत की ओर लौट जाते हैं। यह सिलसिला सदियों से जारी है परंतु पक्षी विज्ञानियों ने बड़े शोध के बाद दक्षिण भारत से गर्मियों में उत्तराखंड आने वाले पक्षियों का आने-जाने का क्रम खोजा है।

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के पूर्व प्रोफÞेसर एवं अंतरराष्ट्रीय पक्षी विज्ञानी दिनेशचंद्र भट्ट का कहना है कि उत्तराखंड के जिम कार्बेट रिजर्व टाइगर पार्क और राजाजी नेशनल रिजर्व टाइगर पार्क में दक्षिण भारत से आने वाले प्रवासी पक्षियों की तादाद सबसे ज्यादा है और इन दोनों पार्क में भी सबसे ज्यादा दक्षिण भारत से आने वाले प्रवासी पक्षियों की तादाद राजाजी नेशनल पार्क की चीला रेंज में है जो गंगा नदी की मुख्यधारा के तट पर पड़ती है। दक्षिण भारत से आने वाले प्रवासी पक्षियों के लिए गंगा का यह तट बहुत ही माकूल है।

राजाजी रिजर्व टाइगर पार्क की चीला रेंज में दक्षिण भारत के कुछ ऐसे पक्षी मिले जो बिल्कुल हरे रंग के थे। जिस तरह से आजकल ग्रीष्मकाल में उत्तराखंड में चार धाम की यात्रा चलती है और उस यात्रा में दक्षिण भारत और गुजरात से तीर्थयात्री बड़ी तादाद में आते हैं, उसी तरह प्रवासी पक्षी ग्रीष्म काल में दक्षिण भारत से बड़ी तादाद में उत्तराखंड में आते हैं।

दक्षिण भारत में ग्रीष्म में गर्मी का प्रकोप उत्तर भारत के मुकाबले अत्यधिक होता है और वहां पर नमी बहुत होती है। ऐसे में दक्षिण भारत के प्रवासी पक्षियों के लिए उत्तराखंड प्रजनन के लिए एक उत्तम क्षेत्र माना जाता है।m