राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर सैन्य बलों को सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के दायरे से पूरी तरह बाहर रखने की तैयारी है। इसको लेकर हाल ही में हाई लेवल की सरकारी मीटिंग में इस छूट को देने का समर्थन किया गया है। सेना के अलावा इस दायरे से साइबर सुरक्षा खतरों से निपटने वाली नोडल एजेंसी, सीईआरटी-इन(‘राष्ट्रीय एजेंसी भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम), डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ़ एनालिटिक्स एंड रिस्क मैनेजमेंट यानी डीजीएआरएम और जीएसटी-कर चोरी एनालिटिक्स विंग को भी आरटीआई से बाहर रखने पर चर्चा हुई है।
हालांकि इस मुद्दे पर अंतिम फैसला क्या है, इसकी कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। जबकि अंतिम निर्णय को सार्वजनिक नहीं किया गया है। वहीं कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग छूट शासन के तौर-तरीकों को अंतिम रूप दे रहा है। माना जा रहा है कि इस संबंध में जल्द ही एक अधिसूचना जारी की जाएगी।
दरअसल हाल ही में कैबिनेट सचिव के साथ सचिवों की कमेटी की बैठक हुई। जिसमें पता चला है कि तीनों सशस्त्र बलों, सीईआरटी-इन और डीजीएआरएम को आरटीआई अधिनियम, 2005 की दूसरी अनुसूची में शामिल किए जाने की संभावना है।
खुफिया ब्यूरो, रॉ, सीबीआई, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय, अर्धसैनिक बलों, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और एनटीआरओ जैसे 26 खुफिया और सुरक्षा संगठनों को दूसरी अनुसूची में रखा गया है। इन्हें सुरक्षा कारणों के चलते आरटीआई अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है। बता दें कि केंद्र सरकार को एक समय अंतराल पर दूसरी अनुसूची में बदलाव करने, अनुसूची में मौजूद संगठनों का नाम जोड़ने या हटाने का अधिकार है।
गौरतलब है कि सूचना का अधिकार अधिनियम भारतीय संसद से पास होने के बाद 12 अक्टूबर, 2005 को लागू हुआ था। इस कानून के जरिए हर भारतीय नागरिक को सूचना लेने का अधिकार(RTI) मिलता है। इसके चलते सरकार कोई भी नागरिक सूचना मांग सकते हैं। सरकारी फैसलों की कॉपी भी पाई जा सकती है। इसके जरिए सरकारी दस्तावेजों का निरीक्षण कर सकते है और सरकारी कार्यों का निरीक्षण भी कर सकते हैं।