देश में सड़क हादसों की जांच के संबंध में जल्द ही नए नियम लागू होंगे। इन नियमों के लिए केंद्र सरकार केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम (सीएमवीआर) में संशोधन करने जा रही है। नियमों की बदौलत आम जनता के पास सड़क पर होने वाले हादसों के मामलों में वक्त पर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराए जाने और उन्हें पुलिस द्वारा तय प्रावधानों के तहत सभी जानकारियां दिए जाने का अधिकार मिल सकेगा। ये अधिकार आम जनता को हादसों के बाद मिलने वाली सहायता राशि या मुआवजा आदि प्राप्त करने में मददगार साबित होंगे।

नए नियमों को केंद्रीय मोटर यान संशोधन अधिनियम कहा जाएगा। प्रावधानों में मंत्रालय ने मुआवजे की राशि के प्रावधानों को भी स्पष्ट कर दिया है जोकि दो लाख से कम या उसके बराबर होगा। यह धनरााशि एक ही किस्त में जारी की जाएगी। इसके अतिरिक्त कोई गंभीर रूप से घायल होता है, तो यह धनराशि दो लाख के मुआवजा राशि के एक तिहाई से कम नहीं होगी। इन्हीं प्रावधानों में मंत्रालय ने मोटर जांच के लिए प्रयोग किए जाने वाले नियम भी तय कर दिए हैं ताकि आम जनता को जल्द से जल्द तय प्रक्रिया के तहत राहत दिलाई जा सके।

प्रावधानों में बताया गया है कि संबंधित जांच अधिकारी दुर्घटना स्थल की जांच करेंगे और उसी आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेंगे। इसमें सड़क की स्थिति से लेकर पीड़ित तक की स्थिति का ब्योरा होगा और घटनास्थल पर मौजूद लोगों से भी इस बाबत जानकारियां ली जाएंगी। वहीं, नाबालिग बच्चों की दुर्घटना के मामले में भी 60 दिन में विस्तृत रिपोर्ट तैयार करनी होगी और रिपोर्ट बाल कल्याण समिति को भी भेजी जाएगी।

इन मामलों में मंत्रालय ने आम जनता व संबंधित लोगों से तीस दिन के अंदर उनकी आपत्तियां मांगी हैं। इसके बाद अधिसूचना जारी होने पर नए प्रावधान लागू होंगे। प्रावधानों के तहत ऐसे मामलों के लिए सभी एजंसियों को मिलकर एक विशेष टीम इन मामलों पर काम करेगी और विभागों के प्रतिनिधि रिपोर्ट को सत्यापित करेंगे। इसके लिए हर हादसे का एक यूनिक पहचान नंबर होगा, जिसकी मदद से तेजी से कार्रवाई की जा सकेगी। देश के हर जिले का दंडाधिकारी को यह रिपोर्ट जाएगी। ज्ञात हो कि हाल ही में टाटा संस के पूर्व प्रमुख सायरस मिस्त्री की एक कार दुर्घटना में मौत हुई थी, जिसके बाद तमाम तकनीकी व अन्य प्रावधानों को लेकर सवाल खड़े हुए थे। नए प्रावधान से आम जनता को तत्काल राहत के साथ निर्माण व अन्य गड़बड़ियों को भी दूर किया जा सकेगा।

वर्ष 2020 रिपोर्ट बताती है कि केंद्रशासित व राज्यों में कुल 3,66,138 सड़क दुघर्टनाएं हुई हैं। इन दुर्घटनाओं में 1,31,714 जान गर्इं और 3,48,279 लोग इन घटनाओं में घायल हुए। यह रिपोर्ट सड़क यातायात और राजमार्ग मंत्रालय के परिवहन शोध इकाई ने तैयार की है। यह मई माह के अंत में जारी की गई थी। इस रिपोर्ट में चौकाने वाला तथ्य यह था कि 18 से 45 वर्ष की आयु वर्ग के पीड़ितों की संख्या 69 फीसद और कामकाजी वर्ग की श्रेणी में आने वाले 18 से 60 वर्ष के 87.4 चालक जान गवांने वाले थे।

परिवहन से संबंधित मामलों के विशेषज्ञ अनिल चिकारा बताते हैं कि इस व्यवस्था को लागू करने का लाभ आम आदमी को उस समय होगा, जब इस कार्य को किसी अन्य विशेष एजंसी को देकर कार्य को कराया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार एनडीआरएफ जैसी विशेषज्ञ कंपनी की भी मदद ले सकती है और संबंधित मामलों को एक विस्तृत आंकड़े तैयार किए जाने की जरूरत है।

यह काम केवल एक विशेषज्ञ टीम ही कर सकती है। कोई स्वतंत्र टीम (थर्ड) पार्टी ही संबंधित प्रावधानों में मंजूरी दें और वाहन की जांच संबंधित कार्य को पूर्ण करें। इस प्रकार ही विदेशों में भी व्यवस्था लागू है। 1-पुलिस अधिकारी को देनी होगी सुविधा दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को चिकित्सा सुविधा व उपचार
2- एफआइआर की प्रतिलिपि का अधिकार 3- बीमा प्रपत्र प्रतिलिपि का अधिकार 4- एमएलसी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अधिकार 5- दिल्ली राज्य विविध सेवा प्राधिकरण से मुफ्त कानूनी सहायता का अधिकार 6- व्यक्तिगत रूप से या वकील के माध्मय से दावे का अधिकार 7- नाबालिगों को बाल कल्याण समिति को भेजा जाएगा। ऐसे बीस अधिकार की व्याख्या नया प्रावधान करता है।