चंडीगढ़/मुंबई। हरियाणा और महाराष्ट्र में अगली सरकार चुनने के लिए हुए विधानसभा चुनाव में बुधवार को खासा मतदान हुआ। हरियाणा में तो रेकॉर्ड 76 फीसद वोट पड़े जबकि महाराष्ट्र में मतदान 64 फीसद रहा। दोनों राज्यों में छिटपुट हिंसा की घटनाओं को छोड़कर मतदान कमोबेश शांतिपूर्ण रहा। मतगणना 19 अक्तूबर को होगी।
हरियाणा में कांग्रेस, भाजपा और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के बीच कड़ी टक्कर वाले इस विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने 1967 में हुए 72.65 फीसद के मतदान का रिकॉर्ड तोड़ दिया। हरियाणा के मुख्य चुनाव अधिकारी श्रीकांत वलगाड ने कहा, ‘हरियाणा में अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा मतदान हुआ है। सभी आंकड़े संकलित किए जाने के बाद मतदान फीसद के अंतिम आंकड़े में बदलाव हो सकता है।’
वलगाड ने कहा कि कुछ एक छिटपुट घटनाओं को छोड़कर मतदान कमोबेश शांतिपूर्ण रहा । हिंसा की इन घटनाओं में 10 पुलिसकर्मी समेत 32 लोग जख्मी हो गए।
हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में 87 लाख महिलाओं सहित 1.63 करोड़ से ज्यादा मतदाता वोट डालने के लिए योग्य थे। शाम छह बजे मतदान संपन्न होने के समय भी कई मतदान केंद्रों में मतदाताओं की लंबी-लंबी कतारें थी।
फतेहाबाद, हिसार, जींद, कुरुक्षेत्र, मेवात, रोहतक, सिरसा, यमुनानगर और कैथल सहित कई जगहों पर भारी मतदान हुआ जबकि फरीदाबाद, गुड़गांव और पंचकुला जिलों में मतदान मध्यम स्तर का रहा।
हरियाणा के मुख्यमंत्री भुपिंदर सिंह हुड्डा, राज्य सरकार के मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला और किरण चौधरी, इनेलो के अभय चौटाला और दुष्यंत चौटाला व हरियाणा जनहित कांग्रेस के कुलदीप बिश्नोई सहित कई अन्य शीर्ष नेता जिन विधानसभा क्षेत्रों से उम्मीदवार थे वहां भी भारी मतदान हुआ। साल 2009 के चुनावों में 72.37 फीसद मतदान हुआ था। इससे पहले, 1967 में 72.65 फीसद मतदान दर्ज किया गया था।
कड़ी सुरक्षा के बीच, सुबह सात बजे सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान शुरू हुआ जो शाम छह बजे तक जारी रहा। यह चुनाव 1351 उम्मीदवारों की किस्मत तय करेगा। भाजपा हरियाणा में पहली बार अपने दम पर चुनावी मैदान में है और वह सत्तारूढ़ कांग्रेस से सत्ता हथियाने की कोशिश में है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने गृह जिले रोहतक में दोपहर से पहले अपने मताधिकार का प्रयोग किया। हुड्डा काफी शांत दिखे और उन्होंने दिन की शुरुआत बैडमिंटन खेलकर की। उन्होंने रोहतक में सड़क किनारे एक चाय की दुकान पर चाय भी पी। रोहतक में संवाददाताओं से बात करते हुए हुड्डा ने कहा, उन्होंने ऐसा कभी नहीं देखा कि एक प्रधानमंत्री हरियाणा जैसे छोटे राज्य में इतना प्रचार करे।
उधर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के तहत हुए मतदान में महाराष्ट्र के 8.35 करोड़ मतदाताओं में से करीब 64 फीसद ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। चुनाव सर्वेक्षकों ने राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी की है। उनके मुताबिक भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी, लेकिन 288 सदस्यीय सदन में वह बहुमत से दूर रहेगी।
अधिकारियों ने बताया कि तेजी से शुरू हुए मतदान की गति दोपहर के समय धीमी हो गई, लेकिन इसने फिर गति पकड़ी और शाम पांच बजे तक करीब 55 फीसद मतदान दर्ज किया गया। नागपुर शहर और विदर्भ के वर्धा जिले और मुंबई में सीवरी के कुछ मतदान केंद्रों से ईवीएम में तकनीकी खामियों की शिकायत मिली। नासिक में मतदाताओं ने मतदाता सूची में खामियां होने की शिकायत की।
विदर्भ के अवदेघाट मतदान केंद्र पर चुनाव ड्यूटी पर तैनात एक पुलिसकर्मी की बिजली गिरने से मौत हो गई, जहां कुछ जगहों पर बारिश के चलते मतदान में व्यवधान पड़ा।
दो दशक से अधिक समय बाद यह पहला चुनाव है जो चुनाव पूर्व किसी बड़े गठबंधन के बिना लड़ा गया है। भाजपा का शिवसेना से 25 साल पुराना गठबंधन टूट गया और राकांपा ने कांग्रेस से 15 साल पुराना नाता तोड़ लिया। इस स्थिति में यह चुनाव पार्टियों की खुद की शक्ति का भी इम्तिहान होगा।
राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) लोकसभा चुनावों में हार का मुंह देखने के बाद इस चुनाव में ‘एक्स फैक्टर’ और ‘किंग मेकर’ की भूमिका की महत्वाकांक्षा लेकर चल रही है जहां पार्टियों की अधिक संख्या से जीत का अंतराल जबर्दस्त रूप से कम रहने की उम्मीद है।
पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण शुरू में वोट डालने वालों में शामिल रहे। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने मुंबई में वोट डाला। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपनी पत्नी और पुत्र आदित्य के साथ वोट डाला। मुंबई में बॉलीवुड हस्तियों में शुरू में वोट डालने वालों में रेखा, जया बच्चन, अभिषेक बच्चन, अमोल पालेकर, भाजपा सांसद हेमा मालिनी और उनकी पुत्री अनुपम खेर, सोनाली बेंद्रे और सलमान खान शामिल रहे। क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने भी वोट डाला।
चुनाव बाद सर्वेक्षणों के मुताबिक राज्य में भाजपा के सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने, लेकिन त्रिशंकु विधानसभा की बात कही गई है। 1995 से 1999 तक शिवसेना के साथ मिलकर सत्ता में रही भाजपा को सरकार बनाने के लिए चुनाव बाद के सहयोगी ढूंढ़ने पड़ेंगे।