पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने गुरुवार (24 नवंबर) को संसद में केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए जोरदार भाषण दिया। इंडियन एक्सप्रेस को जानकारी मिली है कि भाषण के लिए कांग्रेस पिछले एक हफ्ते से तैयारियों में लगी थी। नोटबंदी पर सरकार को निशाना बनाने वाले मनमोहन सिंह की छवि साफ है और वित्त मामलों पर उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। जानकारी मिली है कि कांग्रेस पार्टी चाहती थी कि मनमोहन सिंह टीवी पर एक इंटरव्यू दे दें। लेकिन उनकी सेहत ठीक नहीं थी। सेहत की वजह से वह सोमवार को इजरायल के राष्ट्रपति से भी नहीं मिल पाए। फिर सोचा गया कि उनका एक लंबा पत्र प्रकाशित करा दिया जाए। लेकिन फिर पार्टी के लोगों को लगा कि टीवी पर मनमोहन सिंह का बोलना लोगों को ज्यादा आकर्षित करेगा। इसके बाद बुधवार को फाइनल हो गया कि संसद में बोलना ही सबसे ठीक रहेगा। मनमोहन सिंह ने भी इसपर हामी भर दी थी।

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस को इस बात की भनक लग गई थी कि गुरुवार को पीएम मोदी प्रश्न काल के वक्त संसद में होंगे और ऐसे में सरकार पीएम के सामने होने पर बहस के लिए कह सकती है। इसको देखते हुए मनमोहन सिंह को बोलने के लिए कहा गया। राज्य सभा में पहले से यह तय हुआ था कि नियम नंबर 267 के तहत बहस तबतक ही होगी जबतक प्रधानमंत्री सदन में रहेंगे।

डॉ मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि जिस तरह से नोटबंदी को लागू किया गया है, वह ‘प्रबंधन की विशाल असफलता’ है और यह संगठित एवं कानूनी लूट-खसोट का मामला है। पूर्व प्रधानमंत्री सिंह ने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री एक व्यावहारिक, रचनात्मक एवं तथ्यपरक समाधान निकालेंगे जिससे आम आदमी को नोटबंदी के फैसले से उत्पन्न हालात के चलते हो रही परेशानी से राहत मिल सके। उन्होंने कहा था कि जो परिस्थितियां हैं उनमें आम लोग बेहद निराश हैं। सिंह ने कहा कि कृषि, असंगठित क्षेत्र और लघु उद्योग नोटबंदी के फैसले से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और लोगों का मुद्रा एवं बैंकिंग व्यवस्था पर से विश्वास खत्म हो रहा है। उन्होंने कहा कि इन हालत में उन्हें लग रहा है कि जिस तरह योजना लागू की गई, वह प्रबंधन की विशाल असफलता है।