श्रीनगर। दस दिन पहले श्रीनगर के शेख परिवार के सदस्यों को एक बच्ची परेशान हाल में मिली थी। उसके कपड़े फटे थे और डलगेट इलाके में वह रोते हुए लोगों से खाना मांग रही थी। लड़की की दयनीय हालत देखकर उन्होंने सोचा, शायद यह बच्ची उन बदनसीब लोगों के परिवारों में से किसी की होगी जो हाल में बाढ़ के कहर के शिकार हुए। लेकिन बच्ची से बात करने के बाद वे हैरत में पड़ गए , क्योंकि वह बच्ची कश्मीर की नहीं थी। असल में पांच साल की यह लड़की मुंबई के बांद्रा इलाके की थी। वह एक साल पहले अपने घर वालों से बिछुड़ गई थी।
बांद्रा की एक झोपड़पट्टी की यह बच्ची मेघा इस समय शेख परिवार में उनकी बेटी की तरह है। अब उसके माता-पिता का पता मिल गया है। वे जल्द उसे ले जाएंगे। लेकिन बच्ची के इस तरह लापता होने और कश्मीर में मिलने से बाल-तस्करी के मामले की ओर संकेत मिलता है।
अभी तक बच्ची की देखभाल कर रहे अब्दुल रशीद शेख की पत्नी दिलशादा बानो कहती हैं कि यह बच्ची अपने घर वालों को याद कर रही है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी नाफिया की तरह मेघा की देखभाल की। शुरू में वह खाना खाने से मना कर देती थी। लेकिन अब पहले से ठीक है। हम अपने परिवार के सदस्य की तरह रख रहे हैं।
मेघा को व्यस्त और खुश रखने के लिए शेख परिवार ने उस नाफिया के आइपैड में गेम खेलना सिखाया है। लेकिन शेख परिवार और पुलिस के लिए यह जानना चिंताजनक रहा कि उसे किस तरह मुंबई से कशमीर लाया गया। शेखके घर में नाफिया के बगल में बैठी मेघा ने इंडियन एक्सप्रेस को हिंदी में बताया कि उसे नजीर नामक शख्स ट्रेन में बैठाकर लाया था। वह आदमी मुझे सोपोर, अशमुकम और अनंतनाग लेकर गया, जहां वह भीख मांगता था। मेघा ने बताया कि इस आदमी ने उसके बाल भी काट दिए।
मेघा ने बताया कि ‘वह (नजीर) मुंबई से छोटे-छोटे बच्चों का अपहरण करता था। मैं उत्तर प्रदेश, निजामुद्दीन (दिल्ली), जम्मू में रहने के बाद कश्मीर आई।’ उसने आगे कहा कि नजीर उसे खाने के लिए नहीं देता था। मुंबई में अपने दिनों को याद करते हुए मेघा ने बताया कि उसका पिता शराब पीकर मां को मारा करता था। मुझे अपनी मां की बहुत याद आती है। अब मैं अपने घर वापस जाना चाहती हूं।
गुमशुदा हालत में लड़की मिलने के बाद शेख परिवार ने सबसे पहले उसके बारे में नेहरू पार्क पुलिस बाकी पेज 8 पर उङ्मल्ल३्र४ी ३ङ्म स्रँी ८
थाने को सूचना दी थी। पुलिस ने उन्हें मुंशीबाग थाने भेज दिया। लेकिन उन्होंने बच्ची को अपने पास रखने से मना कर दिया। उनका कहना था कि यह जगह सिर्फ महिलाओं के लिए है। नेहरू बाग के एसएचओ मशूद रशीद ने बताया कि उन्होंने ही इस लड़की के बारे में मुंबई पुलिस को सूचित किया था।
उधर मुंबई के पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने बताया कि उन्हें श्रीनगर पुलिस की ओर से इस लापता लड़की के बारे में सूचना मिली थी। उन्होंने तुरंत गुमशुदा बच्चों के बारे जांच करने वाले प्रकोष्ठ को जिम्मा सौंपा। दो घंटे में पता लग गया कि बच्ची का परिवार निर्मल नगर झोपड़पट्टी में रहता है। उन्होंने एक साल पहले बच्ची के गुम होने की रपट लिखवाई थी। इस परिवार को लेकर पुलिस का दल श्रीनगर गया है। वह बच्ची के घर वालों से मिलने की पुष्टि करेगा।
मुंबई पुलिस में गुमशुदा जन ब्यूरो के एसीपी वसंत ढोबले के अनुसार, शुरुआती जांच में मेघा नाम की तेरह बच्चियों का पता चला। बाद में निर्मल नगर झोपड़पट्टी में उसके परिवार का पता चला। पुलिस ने लड़की के फोटो लोगों को दिखाए और इस तरह उसके घर तक पहुंची। पुलिस के रिकार्ड के अनुसार, लड़की के पिता का नाम शारदा प्रसाद चौधरी और मां का नाम सीमा बताया गया। उन्होंने बताया कि जून 2013 में उनकी लड़की को कोई बहका कर ले गया था।उस समय यह बच्ची अपनी मां के साथ घर से निकली थी।
वास्तव में शेख परिवार के परवेज ने सबसे पहले फेसबुक में इस लड़की की तस्वीर डाली थी। शेख परिवार के सदस्य कहते हैं कि वे बच्ची को खुश करने की पूरी कोशिश करते हैं। शाम को जब हम टीवी पर खबरें देख रहे होते हैं, मेघा कार्टून नेटवर्क देखने की इच्छा जताती है। हम फौरन चैनल बदल देते हैं ताकि वह डोरेमैन कार्टून देख सके। दिलशादा बानो कहती हैं कि अब उनकी एक ही चिंता है कि लड़की अपने माता-पिता के पास पहुंच जाए।