भारत के पांच राज्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में देश की कुल 35 लाख लाइसेंसी बंदूकों में से आधे से ज्यादा इन राज्यों में हैं। इस सप्ताह के शुरुआत में गृह मंत्रालय ने संसद भवन को इस बात की जानकारी दी। मंत्रालय ने बताया कि पिछले तीन सालों में करीब 13 फीसदी यानी 4.57 लाख बंदूकों के लिए लाइसेंस जारी किए गए। डेटा के हवाले से बताया कि गया साल 2011 की जनगणना के अनुसार इन पांच राज्यों में देश की कुल 26 फीसदी आबादी निवास करती है और उनके पास 18 लाख से ज्यादा लाइसेंसी बंदूके हैं। जम्मू-कश्मीर, जो जनसंख्या के हिसाब से भारत का 18वां सबसे बड़ा राज्य है वहां प्रति लाख के हिसाब से सबसे अधिक बंदूक के लिए लाइसेंस दिए गए हैं। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और पजांब का नंबर आता है।

2011 की जनगणना के आकड़े दिखाते हैं कि लाइसेंसी बंदूक के मामले में राष्ट्रीय औसत की बात करें तो यह प्रति लाख लोगों पर 296 बैठता है, मगर 14 राज्य जिसमें नोर्थ-ईस्ट के नागालैंड, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं, वो राष्ट्रीय औसत से ऊपर हैं। 19.98 करोड़ जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश में 12.88 लाख से ज्यादा लाइसेंसी बूंदके हैं। जिसका औसत प्रति लाख 644 लाइसेंसी बंदूकें बैठता है। लाइसेंसी बंदूकों के मामले में जम्मू-कश्मीर दूसरा सबस बड़ा राज्य है, जहां 4.85 लाख लाइसेंसी बूंदकें हैं। प्रति लाख इसका औसत निकाले तो यह रिकॉर्ड 3,859 बैठता है। उग्रवाद से प्रभावित नागालैंड जिसकी आबादी 19.7 लाख है वहां 38,966 लाइसेंसी बंदूके हैं।

7.26 करोड़ की आबादी वाले मध्य प्रदेश में 2.58 लाख लाइसेंसी बंदूकें पंजीकृत है, जिसका प्रति लाख औसत 356 बैठता है। संयोग से महाराष्ट्र, जहां दूसरी सबसे अधिक आबादी है वहां 88,018 लाइसेंसी बंदूके हैं। प्रति लाख औसत के हिसाब से यह महज 78 बैठता है। इसके अलावा देशभर में सबसे कम लाइसेंसी बंदूक केंद्र शासित प्रदेशों जैसे दमन और दीव, दादर नगर हवेली, पुडुचेरी में हैं। यहां क्रमश: 134, 130 और 298 लाइसेंसी बंदूकें हैं। ये जानकारी गृह मंत्रालय के हवाले से है।

जानना चाहिए कि भारत में जिला न्यायधीश केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, सुरक्षा अधिकारियों, अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी, सरकारी अधिकारी या पीएसयू और खेल से जुड़े लोगों को लाइसेंस दे सकता है। ये देशभर में मान्य होंगे। अन्य मामलों में हथियार के लिए लाइसेंस जारी करने की शक्ति राज्य के पास होती है, जो जिला न्यायधीश द्वारा भेजी लाइसेंस की अपील पर फैसला ले सकता है। ये जानकारी एक संबंधित अधिकारी ने दी है।