मुंबई। महाराष्ट्र विधायिका में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करने के लिए जा रहे राज्यपाल सी विद्यासागर राव को रोकने का प्रयास करने के दौरान उन्हें चोटिल करने पर कांगे्रस के पांच विधायकों को राज्य विधानसभा से दो साल के लिए निलंबित कर दिया गया। विधानसभा में संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश मेहता ने कांगे्रस के राहुल बोंदे्र, अब्दुल सत्तार, अमर काले, वीरेंद्र जगताप और जयकुमार गोरे को निलंबित करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया। सदन ने इस प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
इस घटना की जांच के लिए सदन की समिति बनाई गई है जो विधायिका के शीत सत्र में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इस बीच निलंबित किए गए पांचों कांगे्रस विधायकों ने राज्यपाल को चोट पहुंचाने से इनकार किया और आरोप लगाया कि पूरा घटनाक्रम भाजपा सरकार की एक ‘साजिश’ है। इससे पहले विधानसभा में राजस्व मंत्री एकनाथ खड़से ने कहा, ‘राज्यपाल का बायां हाथ चोटिल हो गया है। यह मामला माफी से खत्म नहीं हो जाएगा। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’ सदन में कांगे्रस के नेता राधाकृष्णन विखे पाटील ने कहा कि किसी को आहत करने की मंशा नहीं थी लेकिन वह माफी मांगेंगे।
बहरहाल, राकांपा विधायकों अजीत पवार, आरआर पाटील और छगन भुजबल ने कहा कि यदि राज्यपाल के घायल होने की खबर सही है तो माफी के साथ इस मामले को खत्म कर दिया जाना चाहिए। राकांपा नेताओं ने कहा कि नई विधानसभा का आज पहला दिन है और इसका प्रारंभ कटुता के साथ नहीं होना चाहिए। भाजपा विधायक गिरीश महाजन ने कहा कि वह घटना के प्रत्यक्षदर्शी हैं और यह एक भर्त्सनायोग्य घटना है।
बाद में निलंबित कांगे्रसी विधायकों राहुल बोंदे्र, अब्दुल सत्तार अमर काले, वीरेंद्र जगताप एव जयकुमार गोरे ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उन्होंंने राज्यपाल को रोकने का प्रयास नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘भाजपा विधायक गिरीश महाजन के कथित घटना संबंधी बयान को प्रत्यक्षदर्शी के बयान में रूप में ले लिया गया जबकि हमें अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया गया। प्रदर्शन स्थल पर महाजन की मौजूदगी ही संदिग्ध है। वह वहां कैसे मौजूद हो सकते हैं।’ विधायकों ने कहा, ‘हमें भरोसा है कि जांच के बाद हम निर्दोष साबित होंगे। यदि सरकार हमें दो साल तक बाहर रखती है तो हम पूरे राज्य का दौरा करेंगे और भाजपा सरकार के गलत कामों को लोगों के सामने उजागर करेंगे।’