भारतीय रेल में बदलाव की क्रांति लाने की शुरुआत करने वाली ट्रेन 18 पहली बार पटरियों पर नजर आई। यह ट्रेन उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद पहुंच चुकी है। शनिवार को इस ट्रेन का बरेली से मुरादाबाद के बीच पहला ट्रायल किया जाना है। ट्रायल रन के लिए रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) की टीम मुरादाबाद पहुंच चुकी है।
यह ट्रेन बिना इंजन के चलेगी। इस गाड़ी के अगले व पिछले हिस्से में ही इंजन होता है। रेलवे की अन्य सभी ट्रेन की तरह इसमें कोई इंजन नहीं जोड़ा जाएगा। अन्य ट्रेनों की तरह इस गाड़ी को किसी टर्मिनल पर या रास्तें में कहीं इंजन की मदद से खींच कर घुमाने की भी जरूरत नहीं पड़ती। ये आगे व पीछे दोनों दिशाओं में चलती है। इस ट्रेन की पूरी बॉडी ख़ास एल्यूमिनियम की बनी है। इसलिए यह ट्रेन वज़न में हल्की भी होगी। इसे तुरंत ही ब्रेक लगाकर रोकना आसान है। साथ ही इसे तुरंत स्पीड में भी लाया जा सकता है।
Moradabad: First trial run of Indian Railways' "Train 18", India's first engine-less train, to be conducted tomorrow on Bareilly-Moradabad section on a standard railway track. Research Designs and Standards Organization (RDSO) team has also reached Moradabad for the trial run pic.twitter.com/w7Ub31mtrd
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 16, 2018
जल्द ही ट्रेन 18 शताब्दी को रिप्लेस करने कर सकती है। ट्रेन 18 शताब्दी की तरह से ही फुल्ल एयर कंडीशनर होंगी। ट्रेन में एग्जीक्यूटिव और नॉन एग्जीक्यूटिव कैटेगरी के 16 कोच होंगे। एग्जीक्यूटिव चेयर कार में कुर्सियों को आप अपनी सहूलियत के हिसाब से में घूमने योग्य भी बना सकते हैं। वहीं नॉन एग्जीक्यूटिव कैटगरी में शताब्दी की तरह ही 3+2 कनफीगर में सीटें होंगी। इस क्लास की सीटें शताब्दी के स्टैंडर्ड कोच की तरह होंगी। साथ ही यह ट्रेन शताब्दी के मुकाबले सफर में लगने वाले समय को 15 फीसदी तक कम करेगी।
सबसे खास बात यह है कि इसे किसी देश से मंगवाया नहीं गया है। बल्कि यह पूरी तरह से इंडियन है। अनुमान है कि यह ट्रेन 160 किलोमीटर की रफ्तार दौड़ेगी। यह ट्रेन चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में तैयार की गई है। सिर्फ 20 महीने के वक्त में इसे बनाकर तैयार किया गया है। साल 2018 में बनने की वजह से ही इसे ट्रेन 18 नाम दिया गया है। इतना ही नहीं साल 2020 में टी-20 को भी पटरियों पर उतारने की खबरें हैं।

