जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में सेना की वर्दी पहने आतंकवादियों के एक फिदायीन दस्ते ने शुक्रवार तड़के एक पुलिस थाने पर हमला कर दिया, जिसमें तीन सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई जबकि एक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) समेत 11 लोग जख्मी हो गए । सुरक्षाकर्मियों ने भी दोपहर तक चली मुठभेड़ में फिदायीन दस्ते में शामिल दो आतंकवादियों को मार गिराया। एक मार्च को जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार बनने के बाद यह पहला बड़ा आतंकवादी हमला है।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि फिदायीन दस्ते में शामिल दो आतंकवादी शुक्रवार तड़के राजबाग पुलिस थाने में घुस आए और अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। जम्मू के पुलिस महानिरीक्षक (आइजी)दानिश राणा ने कहा- यह एक फिदायीन हमला है। राणा ने कठुआ में संवाददाताओं को बताया- दो आतंकवादी मारे गए हैं। अभियान खत्म हुआ। सीआरपीएफ के दो जवानों के अलावा एक पुलिसकर्मी को भी मुठभेड़ में जान गंवानी पड़ी। उन्होंने कहा कि एक डीएसपी सहित 11 लोग जख्मी हुए हैं। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कुछ अहम दस्तावेज और हथियार व गोला-बारूद भी बरामद किए गए हैं।

सीआरपीएफ के घायल हुए कांस्टेबल भरत प्रभु ने बताया कि सेना की वर्दी पहने आतंकवादियों ने जम्मू से पठानकोठ जा रही एक जीप को तलाशी लेने के बहाने रोका। इसके बाद आतंकवादियों ने जीप को अगवा कर लिया जिसमें तीन यात्री सवार थे। वे जीप से राजबाग पुलिस थाने पहुंचे और उन्होंने एक संतरी पर गोलियां चला दीें जिसके बाद उसने दम तोड़ दिया। फिर आतंकवादियों ने पुलिस थाने पर ग्रेनेड फेंके और अंधाधुंध गोलीबारी की। सीआरपीएफ जवान ने कहा- जख्मी होने से पहले हमने एक आतंकवादी को मार गिराया।

पुलिस थाना रणभूमि की तरह नजर आ रहा था। दीवार पर गोलियों के कारण छेद हो गए थे। हमले के कारण पुलिस थाने के आसपास रह रहे लोगों में घबराहट पैदा हो गई । पुलिस थाने के पास रहने वाले शाम लाल ने बताया- जैसे ही पुलिस थाने पर फायरिंग शुरू हुई, हमने अपनी खिड़कियां बंद कर ली और अपने परिवार को भूतल पर रखा। हमने कई घंटे खौफ में बिताए।

अतिरिक्त सुरक्षाबलों को घटनास्थल पर भेजा गया है और जम्मू-पठानकोट राजमार्ग को ऐहतियातन बंद कर दिया गया है। पुलिस थाने के आसपास पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी गई है। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से बात की और हालात की जानकारी ली। सिंह ने गृह सचिव को स्थिति पर पैनी नजर रखने का निर्देश दिया है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में इस हमले का जिक्र हुआ। विपक्षी सदस्यों ने इस घटना पर सरकार से जवाब मांगा। नेशनल कांफ्रेंस के विधायक देवेंद्र सिंह राणा ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने जानना चाहा कि ऐसे हमले रोकने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं। राणा ने कहा कि सदन जानना चाहता है कि यह हमला कैसे हुआ। हमले की निंदा करते हुए माकपा के विधायक एमवाई तारीगामी ने कहा कि सदन को ऐसे हादसों की निंदा करने में एकजुट रहना चाहिए। उन्होंने हमले में मारे गए लोगों के प्रति शोक जताया। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी हमले की निंदा की। केंद्र व राज्य सरकारों से अतीत में हुए ऐसे हमलों से सीख लेने की अपील करते हुए उमर ने कहा- मैं इसकी निंदा करता हूं। ऐसे हमले पहले भी हुए हैं और उस रास्ते का इस्तेमाल उन्होंने बार-बार किया।गौरतलब है कि कठुआ और सांबा जिलों में 2013 और 2014 में पुलिस थानों और सैन्य शिविरों पर इसी प्रकार के आतंकवादी हमले हुए थे।