प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य में गुजरात में विधानसभा चुनावों को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है। विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर बीजेपी ने प्लानिंग शुरू कर दी है। इस साल के आखिर में होने वाले चुनावों के लिए बीजेपी, गुजरात में अपने कार्यकर्ताओं और संगठन को फिर से सक्रिय करने के लिए एक व्यापक अभ्यास शुरू करने जा रही है। 15 साल में पहली बार ऐसा होगा बीजेपी को मोदी के बिना विधानसभा चुनाव लड़ना पड़ेगा। पार्टी 28 मई से 48 हजार बूथों पर 9 दिवसीय संपर्क अभियान का आयोजन करने जा रहा है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस 9 दिवसीय कार्यक्रम के लिए 48000 कार्यकर्ताओं का चयन किया गया है जो कि अपने क्षेत्र में जनसभा आयोजित करने, वर्कशॉप लगाने, नए सदस्यों को जोड़ने, अहम वोटर्स से मिलने का काम करेंगे। साथ ही उन्हें अपने क्षेत्रों में सफाई अभियान चलाने को भी कहा गया है।

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह देशभर में पार्टी के विस्तार के लिए 95 दिन यात्रा करेंगे। इस प्रोग्राम के तहत वो तीन दिन गुजरात भी आएंगे। वर्तमान में 182 विधानसभा सीटों पर बीजेपी के 121 विधानसभा सदस्य है। बीजेपी का मिशन के इन सीटों को बढ़ाकर 150 तक ले जाने का है। बीजेपी द्वारा यह फैसला उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की जीत को लेकर लिया गया है। इसके लिए बैनर और पोस्टर भी तैयार कर लिए गए। राज्य में लगे इन पोस्टरों में लिखा है- “यूपी में 325, गुजरात में 150.”

बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा, “पार्टी राज्य में पीएम मोदी की कमी महसूस नहीं करेगी। मोदी के नेतृत्व में राज्य में लगातार, सतत और स्थिर विकास मॉडल आया और संगठन मजबूत और सक्षम रखा। मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव 2002 में 127 सीटें, 2007 में 117 सीटें तथा 2012 में 115 सीटों पर जीत दर्ज की।” गुजरात चुनाव को लेकर बीजेपी की राज्य ईकाई सीधे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के अधीन काम कर रही है। पार्टी का परफॉरमेंस उनके लिए प्रतिष्ठा की मुद्दा है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि साल 2001 के बाद यह गुजरात चुनाव बीजेपी के लिए सबसे कठिन चुनाव होगा। बीजेपी, सीट वितरण और रणनीति अभियान के लिए जल्द ही एक फार्मूला को अंतिम रूप देगी।

बता दें कि बीजेपी सरकार को पाटीदारों को आरक्षण और गौरक्षा के नाम पर दलितों पर हुए अत्याचारों को लेकर कड़ी निंदा का सामना करना पड़ा था। इन सब को ध्यान में रखकर आनंदीबेन पटेल को हटाकर विजय रुपाणी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था।