वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारतीय नागरिकों या कंपनियों के स्विस बैंक में जमा कालेधन का भारत के पास प्रमाणिक आंकड़ा नहीं है। यानी असल में कितनी रकम जमा है, इस बात का सही सही पता नहीं है। एक सवाल के जवाब में सोमवार को वित्त मंत्री ने लोकसभा में मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बताया कि स्विस बैंकों में भारतीयों के जमा कराए पैसे में 2018 में 6 प्रतिशत की गिरावट आई है।
सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार भारतीयों के स्विट्जरलैंड में संपत्तियों और बेहिसाब आय का पता लगाने और टैक्स वसूलने के लिए लगातार कदम उठा रही है। वित्त मंत्री ने डबल टैक्सेशन अवॉयडेंस अग्रीमेंट और ऑटोमेटिक एक्सचेंज ऑफ फाइनैंशियल अकाउंट इन्फॉर्मेशन का भी जिक्र किया, जिसके तहत भारत को स्विट्जरलैंड में भारतीय नागरिकों के खातों की जानकारी सितंबर 2019 से मिलनी शुरू हो जाएगी। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत ने भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए जी20 और ब्रिक्स जैसे अंतराष्ट्रीय मंचों पर भी आवाज उठाकर सहयोग मांगा है।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने देश के अंदर और बाहर, दोनों ही मोर्चों पर कालेधन पर कार्रवाई की दिशा में कई ठोस कदम उठाए हैं। इसके लिए कई कड़े कानून भी लाए गए हैं। उन्होंने बताया कि आर्थिक अपराध के आरोपियों द्वारा देश से भागने के मामलों से निपटने के लिए फ्यूजिटिव इकॉनमिक ऑफेंडर्स एक्ट भी 2018 में पास किया गया है।
बता दें कि स्विट्जरलैंड के बैंकों में अघोषित खाते रखने वाले भारतीयों पर शिकंजा कसना अब शुरू हो चुका है। जून महीने में खबर आई थी कि स्विट्जरलैंड के अधिकारी कम से कम 50 भारतीय लोगों की बैंक संबंधी सूचनाएं भारतीय अधिकारियों को सौंपने की प्रक्रिया में हैं। ऐसे लोगों में ज्यादातर जमीन-जायदाद , वित्तीय सेवा, प्रौद्योगिकी, दूरसंचार आदि के कारोबार से जुड़े व्यापारी और कंपनियां शामिल हैं।
स्विट्जरलैंड की छवि टैक्स चोरों के पनाहगारों के तौर पर रही है। हालांकि, यहां की सरकार अब इस छवि को बदलने की कोशिश में लगी हुई है। स्विट्जररलैंड ने हाल ही में कुछ देशों के साथ सूचनाएं साझा करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। भारतीय खाताधारकों की सूचनाएं साझा करने को लेकर उसने भारत के साथ भी समझौता किया है।
