वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि अमेरिका के भारतीय उत्पादों पर टैरिफ लगाए जाने के बाद भी राजनयिकों की टीम अमेरिका के संपर्क में है। अमेरिका ने 27 अगस्त से भारतीय सामान पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगा दिया है। इससे झींगा, कपड़ा, चमड़ा और जूते जैसे क्षेत्रों के निर्यात पर असर पड़ रहा है।
सीतारमण ने एनडीटीवी प्रॉफिट जीएसटी कॉन्क्लेव 2025 में कहा, ‘‘हमारी तरफ से, अगर मैं इस शब्द का इस्तेमाल कर सकती हूं तो हमने सभी दरवाजे खुले रखे हैं। राजनयिकों की टीम अमेरिका के साथ बातचीत कर रही है। व्यापार वार्ता अब भी जारी रह सकती है। इसलिए, हमारी तरफ से, हम दूसरों के लिए कुछ भी मुश्किल नहीं बना रहे हैं।’’
भारत और अमेरिका मार्च से द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। अब तक पांच दौर की बातचीत पूरी हो चुकी है। छठे दौर के लिए, अमेरिकी दल पिछले महीने भारत आने वाला था लेकिन उसने अपनी यात्रा स्थगित कर दी।
‘रूस से कच्चा तेल खरीदता रहेगा भारत…’
ऊंचे टैरिफ के कारण दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है, जिसके साथ वस्तुओं और सेवाओं का द्विपक्षीय व्यापार 191 अरब अमेरिकी डॉलर का है।
अमेरिका भारत में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक भी है, जिसने अप्रैल, 2000 से जून, 2025 के दौरान भारत में 76.26 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) किया है। इस अवधि के दौरान भारत को प्राप्त कुल एफडीआई में अमेरिका का योगदान 10 प्रतिशत है।
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‘रूस से कच्चा तेल खरीदता रहेगा भारत…’
निर्मला सीतारमण ने हाल ही में एक टेलीविजन चैनल के साथ बातचीत में कहा था कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब भारत पर एडिशनल 25% टैरिफ लगाया था तो इसके पीछे यही वजह बताई थी कि भारत रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद रहा है और इसलिए उस पर पेनल्टी लगाई गई है।
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत की तेल खरीद पूरी तरह आर्थिक और व्यावसायिक कारणों पर आधारित है।