मणिपुर के जाने-माने फिल्मकार और कंपोजर अरिबम श्याम शर्मा ने पद्मश्री पुस्कार लौटा दिया है। रविवार (तीन फरवरी, 2019) दोपहर को उन्होंने यह ऐलान इंफाल स्थित आवास से किया। कहा कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 के विरोध में उन्होंने यह फैसला लिया है। 82 वर्ष के कलाकार ने कहा, “मणिपुरवासियों को इस वक्त सुरक्षा की जरूरत है। 500 से अधिक सदस्यों वाले सदन (लोकसभा) में राज्य के महज एक या दो सदस्य हैं। ऐसे में संसद के भीतर देश के उत्तर पूर्वी हिस्से की आवाज क्या और कैसी होगी?”
‘एचटी’ की रिपोर्ट में उनके हवाले से कहा गया, “छोटे या फिर बड़े, पर राज्य के नाते वे हमारा सम्मान करें। यह आबादी के आधार पर नहीं मापा जाना चाहिए। मैं यह मुद्दा इसलिए उठा रहा हूं, क्योंकि केंद्रीय सरकार इन्हीं राज्यों से मिलकर बनती है।” बकौल शर्मा, “उत्तर पूर्वी राज्यों संयुक्त रूप से जब कोई चीज सरकार के समक्ष पेश करें, तब उसे उस चीज पर विचार करना चाहिए। अगर सरकार ऐसा नहीं करेगी, तब स्वाभाविक है कि हम विरोध जताएंगे।”
पहली मणिपुरी फिल्म मतामगी मणिपुर में बतौर अभिनेता डेब्यू करने वाले शर्मा आगे बोले कि एकजुटता दिखाने के लिए मैंने पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का फैसला लिया। 2006 में मणिपुरी सिनेमा और फिल्मों की दुनिया में अहम सहयोग के लिए दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें इस सम्मान से नवाजा था।
नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 लोकसभा में आठ जनवरी को पास हुआ था, जिसके बाद से मणिपुर में लगातार विरोध प्रदर्शन और छिट-पुट आंदोलन देखने को मिले। कुछ जगहों पर लोग इसके खिलाफ धरने पर बैठे तो राज्य में कहीं इस बिल को वापस लेने की मांग उठाई गई।
इसी बीच, मणिपुर के राजनीतिक दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से अपील की थी कि यह बिल राज्यसभा में पास हो, उससे पहले उत्तर पूर्वी राज्यों के लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने से जुड़ी कोई धारा इसमें सम्मिलित की जाए।